भागवत कथा के श्रवण मात्र से समस्त पापों से मिल जाती है मुक्ति : अनुपमाचार्य
कलियुग में श्रीमद्भागवत ही साक्षात श्रीहरि का रूप है। इसके श्रवण मात्र से ही प्राणी समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने का सौभाग्य सभी मनुष्यों को प्राप्त नहीं होता है।
संवाद सूत्र, पातेपुर : कलियुग में श्रीमद्भागवत ही साक्षात श्रीहरि का रूप है। इसके श्रवण मात्र से ही प्राणी समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने का सौभाग्य सभी मनुष्यों को प्राप्त नहीं होता है। पावन हृदय से जो मनुष्य श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है उन्हें कोटि पुण्य का फल प्राप्त होता है। उक्त बातें पातेपुर प्रखंड क्षेत्र के लदहो गांव स्थित रामजानकी मठ परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सातवें एवं अंतिम दिन कथा प्रवक्ता स्वामी अनुपमाचार्य ने कही।
श्रीमद्भागवत कथा स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से मठ के महंत श्रीराघवदास जी महाराज के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था। श्रीमद्भागवत कथा के आयोजन से मठ के आसपास के इलाकों में पिछले सात दिनों से भक्तिमय माहौल बना हुआ था। भागवत कथा में स्थानीय लोगों ने जहां तन-मन एवं धन से सहयोग किया वहीं लोगों ने भक्ति के इस महासागर में जमकर डुबकी लगाई। मठ परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के लिए बहुचर्चित कथा वाचक वाराणसी से चलकर पातेपुर की धरती पर पहुंचे थे।
कथा वाचन के दौरान उन्होंने बताया कि मनुष्य को मोह माया के बंधन जाल में नहीं फंसकर बिल्कुल पावन हृदय से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कर अपने जीवन को श्रीविष्णु के श्री चरणों मे समर्पित कर देना चाहिए। मठ परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में गांव के सैंकड़ों महिला, पुरुष, बच्चे एवं बुजुर्गों के अलावा दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने भाग लेकर कथा का श्रवण कर जीवन को धन्य किया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।