गजब! एक करोड़ साल के दिनों को कुछ सेकेंड में ही बता देता बिहार का यह युवक, प्रतिभा ऐसी कि आपको होगी हैरत
गूगल से ज्यादा वर्षों का कैलेंडर याद रखने वाले अभय को इंडिया बुक आफ रिकार्ड में जगह मिली है। आगे उनकी नजर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स पर है। उनकी प्रतिभा ऐसी है कि जान कर आप हैरत में पड़ जाएंगे।
वैशाली, संवाद सूत्र। वैशाली जिला के देसरी प्रखंड क्षेत्र के गाजीपुर निवासी अभय कुमार को गूगल (Google) से ज्यादा वर्षों का कैलेंडर याद रखने के लिए इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स (India Book of Records) में जगह मिली है। गूगल जहां एक बार में 10 हजार सालों तक का कैलेंडर दिवस ही बता पाता है, वहीं अभय ने एक करोड़ कैलेंडर वर्ष बताने का दावा किया था। आगे अभय की नजर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Guinness Book of World Records) पर है।
हैरत में डाल देगी अभय की प्रतिभा
अभय की प्रतिभा की बात करें तो आप हैरत में पड़ जाएंगे। वे एक बार सुन कर सैकड़ों नंबर उनके स्थान सहित बता देते हैं। अगर कोई डिजिट की पूरी सीरीज बोले तो वे सुनकर एक बार में ही याद कर लेते हैं और स्थान सहित जानकारी कुछ ही सेकेंड में दे देते हैं। वे एक सौ से अधिक व्यक्तियों से एक बार मिलकर उनके नाम एक बार में ही याद कर लेते हैं।
अब आगे गिनीज बुक पर है नजर
उन्होंने इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स के बाद अपना दावा एशिया बुक आफ रिकार्ड्स, लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स और गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी किया है। उन्होंने बताया कि एशिया बुक आफ रिकार्ड्स में उन्हें स्थान मिल चुका है। अब वे गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में एक करोड़ साल के कैलेंडर दिवस बताने का दावा कर रहे हैं।
ऐप बना सिखा रहे मेमोरी तकनीक
अभय ने वर्ष 2016 में बीटेक (मैकेनिकल) करने के बाद इंडो-जर्मन आटोमोबाइल कंपनी का जाब आफर ठुकरा दिया। उसके बाद मोतिहारी पालिटेक्निक कालेज में चार साल तक शिक्षण कार्य किया। अभी छात्र-छात्राओं को मेमोरी तकनीक सिखाने के लिए खुद का अपना ऐप बनाया है। उनका दावा है कि वे कक्षा छह से लेकर यूपीएससी सिविल सेवा समेत अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं के छात्र-छात्राओं को अन्य मेमोरी ट्रेनर से ज्यादा प्रभावशाली तकनीक से प्रशिक्षण दे रहे हैं। देश-विदेश के छात्र-ठात्राओं को मेमोरी तकनीक सिखाने के लिए अभय अगले महीने अपनी वेबसाइट भी बना रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।