त्रिवेणीगंज विधानसभा: बदले गए तीरंदाज फिर भी निशाने पर लगा तीर, इस बार कैसे हैं समीकरण?
त्रिवेणीगंज विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने उम्मीदवार बदलकर भी जीत हासिल की। बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के बावजूद, जेडीयू का दबदबा कायम रहा। नीतीश कुमार की लोकप्रियता और मजबूत संगठन ने जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विपक्षी दलों की रणनीति कमजोर साबित हुई।

त्रिवेणीगंज विधानसभा के चुनावी समीकरण
भरत कुमार झा, सुपौल। त्रिवेणीगंज सुरक्षित विधानसभा सीट 2005 से ही जदयू के नियंत्रण में रही है। खास बात यह रही है कि 2015 से इस सीट पर जदयू ने भले ही तीरंदाज को बदला हो, लेकिन तीर निशाने पर लगता रहा। 2010 में अमला देवी ने जदयू प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी।
जीत के बाद भी 2015 के चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काटा। इसके बाद पार्टी ने अपना टिकट वीणा भारती को थमाया। पार्टी के भरोसे पर वे खरी उतरीं और दो बार पार्टी को जीत दिलाई।
उन्होंने 2015 और 2020 में लगातार दो बार जीत हासिल कर जीत की इस परंपरा को आगे बढ़ाया। इस बार पार्टी ने वीणा भारती का टिकट काट दिया है।
हालांकि इस बार भी महिला प्रत्याशी को ही पार्टी ने टिकट दिया है। जदयू ने अपना प्रत्याशी सोनम रानी को बनाया है। वे पार्टी की प्रखंड उपाध्यक्ष के अलावा जिला परिषद सदस्य हैं।
2005 में विश्वमोहन कुमार ने शुरू किया जदयू की जीत का सिलसिला
परिवर्तन के दौर में 2005 के चुनाव से यदि नजर डालते हैं तो विश्वमोहन कुमार ने 2005 के पहले चुनाव में एलजेपी से जीत हासिल की और कुछ ही महीने बाद हुए पुनर्मतदान में जदयू ने इनपर दाव खेला और ये विजयी रहे। जदयू की जीत का सिलसिला इन्होंने ही शुरू किया।
2009 के लोकसभा चुनाव में विश्वमोहन कुमार सांसद चुने गए और यह पद रिक्त होने के कारण उपचुनाव में दिलेश्वर कामैत (सांसद) को पार्टी ने टिकट दिया। उन्होंने जीत हासिल की, और तब से यह सीट जदयू के कब्जे में है।
2010 में परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई और जदयू ने अमला देवी को अपना उम्मीदवार बनाया, जबकि उम्मीदवारी से कुछ ही दिन पूर्व उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी।
बावजूद उन्होंने विजय पताका फहरा दिया। 2015 के चुनाव में पार्टी ने फिर नया दाव खेला और पूर्व विधायक विश्वमोहन भारती की पत्नी वीणा भारती को मौका दिया और पार्टी को फिर जीत मिली।
2020 के चुनाव में भी पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताया और उन्होंने अपनी जीत की परंपरा कायम रखी। 2025 के होने वाले चुनाव में पार्टी ने उन्हें बेटिकट करते फिर उम्मीदवार बदला है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ता सोनम रानी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
पहले चुनाव में द्वि-सदस्यीय सीट थी यह विधानसभा
त्रिवेणीगंज विधानसभा के इतिहास पर एक नजर डालते हैं तो 1957 में त्रिवेणीगंज एक द्वि-सदस्यीय सीट थी। उस समय कांग्रेस का दबदबा अपराजेय था। योगेश्वर झा और तुलमोहन राम कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए।
इसके बाद 1962 में भी कांग्रेस के खूब लाल महतो ने जीत दर्ज कर पार्टी का वर्चस्व कायम रखा।
1967 के बाद त्रिवेणीगंज में राजनीति का समीकरण बदला। समाजवादी विचारधारा की लहर चली और अनूप लाल यादव इस क्षेत्र के पर्याय बन गए।
उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, फिर जनता पार्टी और बाद में जनता दल से लगातार जीत दर्ज की। 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की। जगदीश मंडल ने पार्टी के पुराने आधार को पुनर्जीवित करने की कोशिश की, लेकिन यह ज्यादा देर नहीं टिक सका।
1985 और 1990 में फिर अनूप लाल यादव की वापसी हुई। 1995 में कांग्रेस ने आखिरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की, जब विश्वमोहन कुमार विजयी हुए। 2000 में अनूप लाल यादव ने राजद के टिकट पर जीत दर्ज कर राजनीतिक वापसी की। 2005 से समीकरण फिर बदल गए।
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