Supaul News: आठ साल बाद भी नदी थाना की बदहाल व्यवस्था: आरोपियों और मालखाना के लिए एक ही कमरा
सुपौल जिले का एकमात्र नदी थाना मरौना प्रखंड के बड़हरा में स्थित है जो आठ साल पहले खुला था। भवन के अभाव में यह बाढ़ आश्रय स्थल में चल रहा है जिससे कर्मियों और बाढ़ पीड़ितों दोनों को परेशानी हो रही है। हाजत और मालखाना एक ही कमरे में होने से दिक्कतें और बढ़ गई हैं। बाढ़ आश्रय स्थल जर्जर हो चुका है।

संवाद सूत्र, मरौना (सुपौल)। जिले का एकमात्र नदी थाना मरौना प्रखंड के बड़हरा में अवस्थित है। 8 साल पहले इसका उद्घाटन हुआ था। अपना भवन नहीं होने के कारण यह बाढ़ आश्रय स्थल में चल रहा है, जिसकी वजह से कर्मियों को काफी परेशानी होती है।
वहीं जिस उद्देश्य से बाढ़ आश्रय स्थल बनाया गया था वह भी सफल नहीं हो पा रहा है। आरोपितों को गिरफ्तारी के बाद रखने के लिए यहां हाजत नहीं है। हाजत या मालखाना जो कह लें एक ही कमरे में संचालित होता है।
इससे हाजत में रखे जाने वाले लोग भी परेशान होते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण आमलोगों की सुविधा के लिए बनाए गए इस स्थल पर थाना का कब्जा होने के कारण बाढ़ पीड़ितों को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती है।
आठ साल बाद हुआ था उद्घाटन
नदी थाना खोले जाने की घोषणा के आठ वर्षों बाद 2017 में इसका उद्घाटन हुआ। नदी थाना खुलने के बाद कोसी के रास्ते अवैध कारोबार करने वाले अपराधियों की गतिविधियों में कमी आई। कोसी नदी में थाना खोलने के लिए 2009 में ही कवायद शुरू हुई। 22 जनवरी 2010 को गृह विभाग से मंजूरी मिली और 7 फरवरी 2017 को उद्घाटन हुआ।
बाढ़ आश्रय स्थल हो चुका है जर्जर
बाढ़ आश्रय स्थल का भवन जर्जर हो चुका है। फर्श टूटने और दीवार का प्लास्टर झड़ने लगा है। छत से भी कहीं-कहीं पानी टपकता है। शौचालय की स्थिति भी ठीक नहीं है। चापाकल के प्लास्टर भी जगह-जगह झड़े हुए हैं।
अभी बाढ़ का समय है और बाढ़ पीड़ितों के लिए यह आश्रय स्थल बनाया गया था लेकिन इस पर थाना का कब्जा है तो ऐसे में बाढ़ पीड़ित कहा जाएंगे यह बड़ा सवाल जरूर खड़ा हो रहा है। अब देखना होगा कब तक इस थाना को अपना भवन नसीब हो पाता है।
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