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    Bihar Bhumi: ऑनलाइन रिकॉर्ड से गायब हुई 2000 एकड़ जमीन, गंभीर संकट में अन्नदाता; खरीद-बिक्री ठप

    सुपौल जिले के सरायगढ़ के गिरधारी मौजा में तक़रीबन दो हजार एकड़ ज़मीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन से गायब होने से किसान परेशान हैं। तकनीकी गड़बड़ी के कारण किसान अपनी ज़मीन की खरीद-बिक्री नहीं कर पा रहे हैं। डेढ़ साल से यह समस्या बनी हुई है और किसान समाधान के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। राजस्व महाअभियान से भी वंचित रहने पर किसानों में चिंता है।

    By Bimal Bharti Edited By: Rajat Mourya Updated: Sat, 23 Aug 2025 07:00 AM (IST)
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    ऑनलाइन रिकॉर्ड से गायब हुई गिरधारी मौजा की दो हजार एकड़ जमीन

    विमल भारती, सरायगढ़ (सुपौल)। सुपौल जिले के सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड अंतर्गत गिरधारी मौजा में करीब दो हजार एकड़ जमीन से जुड़े हजारों किसानों पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। तकनीकी गड़बड़ी के कारण इस गांव की जमीन का विवरण सरकार के ऑनलाइन रिकॉर्ड से बाहर हो गया है।

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    तीजतन न तो जमीन मालिक अपने खेत की खरीद-बिक्री कर पा रहे हैं और न ही कागजात में सुधार संभव हो पा रहा है। डेढ़ साल से अधिक समय से यह समस्या बनी हुई है, लेकिन समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है।

    किसानों ने डीएम से लगाई गुहार

    शुक्रवार को गांव के कई जमीन मालिकों ने जिलाधिकारी सावन कुमार के जनता दरबार में पहुंचकर इस मसले को उठाया और तत्काल समाधान की मांग की। किसानों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर जमीन का रिकॉर्ड पोर्टल से गायब होना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि भविष्य में उनके स्वामित्व अधिकार पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर सकता है।

    खरीद बिक्री पूरी तरह ठप

    तकनीकी गड़बड़ी के चलते पिछले डेढ़ साल से गिरधारी गांव की कोई भी जमीन खरीदी या बेची नहीं जा पा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कई लोग जमीन बेचकर अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई या बेटी की शादी करना चाहते थे, लेकिन कागजात ऑनलाइन नहीं रहने से वे बेबस हैं। वहीं जिन किसानों ने जमीन खरीदने की अग्रिम राशि दी थी, उनका पैसा भी फंसा हुआ है।

    बार-बार दफ्तरों के चक्कर, समाधान नहीं

    गांव के मु. याहिया, राज नारायण ठाकुर, मु. वहाव, मु. अलाउद्दीन, मु. जब्बार, जनक यादव, जयनारायण ठाकुर, सुदी लाल यादव, राम नारायण ठाकुर, मु. तय्यब, सूरज नारायण साह, ललित रजक, गोपाल रजक, सरोज कुमार, मोहित पासवान, राम लखन यादव सहित अन्य जमीन मालिकों ने बताया कि वे महीनों से अंचल कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। सर्वेक्षण कार्य शुरू होने के समय भी समस्या सामने आई थी। उस समय भरोसा दिलाया गया था कि जल्द सुधार हो जाएगा, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

    राजस्व महाअभियान से भी वंचित

    राज्य सरकार ने 16 अगस्त से 20 सितंबर तक पूरे प्रदेश में राजस्व महाअभियान चलाया है, जिसके तहत गांव-गांव शिविर लगाकर जमाबंदी, खाता-खेसरा और जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाया जा रहा है, लेकिन गिरधारी गांव के किसानों की किस्मत इतनी खराब है कि वे इस महाअभियान का हिस्सा तक नहीं बन पा रहे हैं।

    ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विभागीय कर्मचारी यहां आने से बच रहे हैं। नतीजा यह है कि जबकि अन्य गांवों में लोग राहत पा रहे हैं, गिरधारी गांव के हजारों किसान अब भी ठगे से खड़े हैं।

    किसानों की बढ़ी चिंता

    गांव के किसानों का कहना है कि सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि उनकी जमीन के कागजात सरकारी पोर्टल से स्थायी रूप से गायब हो गए, तो भविष्य में स्वामित्व साबित करना मुश्किल हो जाएगा। इससे न केवल उनकी पुश्तैनी जमीन पर संकट आएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ी भी प्रभावित होगी। ग्रामीणों ने कहा कि जमीन होते हुए भी वे भूमिहीन की तरह जी रहे हैं।

    प्रशासन से उम्मीद

    अब किसानों की नजर जिला प्रशासन पर टिकी है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन गंभीरता से पहल करे तो इस गड़बड़ी का समाधान जल्द संभव है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।

    सवालों के घेरे में तंत्र

    तने बड़े पैमाने पर जमीन रिकॉर्ड से बाहर होना राजस्व विभाग और एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। जिस समय सरकार पूरे प्रदेश में पारदर्शी भू-अभिलेख प्रणाली को लागू करने का दावा कर रही है, उसी समय गिरधारी गांव की यह स्थिति विभाग की लापरवाही को उजागर कर रही है।

    क्या बोले अंचलाधिकारी?

    इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी धीरज कुमार ने बताया कि गिरधारी गांव के जमीन मालिकों की समस्या काफी जटिल बन गई है और यह तकनीकी गड़बड़ी के चलते हुई है।

    उन्होंने कहा कि तकनीकी गड़बड़ी में सुधार को लेकर बार-बार पटना लिखित में जानकारी दी गई है लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया जिसके चलते गिरधारी गांव के जमीन मालिक परेशान हैं। उन्होंने कहा कि पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ी का सुधार पटना से ही होना है लेकिन वहां से हो नहीं पा रहा है।