अमन-चैन की दुआ के साथ अदा की गई ईद की नमाज
मंगलवार को ईद की नमाज शहर के ईदगाह समेत जामा मस्जिद चौक मस्जिद बालूटोला मस्जिद सहित ग्रामीण मस्जिदों में अदा की गई। इस मौके पर काफी संख्या में लोग नमाज अदा करने पहुंचे। कोरोना संक्रमण के कारण दो साल बाद नमाज का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आया।

जागरण संवाददाता, सुपौल। मंगलवार को ईद की नमाज शहर के ईदगाह समेत जामा मस्जिद, चौक मस्जिद ,बालूटोला मस्जिद सहित ग्रामीण मस्जिदों में अदा की गई। इस मौके पर काफी संख्या में लोग नमाज अदा करने पहुंचे। कोरोना संक्रमण के कारण दो साल बाद नमाज का नजारा बेहद खूबसूरत नजर आया।
लोग नए लिबास में नजर आ रहे थे और इत्र की खुशबू से फिजां सराबोर था। लोगों ने अमन-चैन की दुआ के साथ नमाज मुकम्मल करने के बाद गले मिलकर एक-दूसरे को खुशियों के पर्व ईद की मुबारकबाद दी। इस मौके पर शांति व्यवस्था के मद्देनजर एसडीओ सदर मनीष कुमार और डीएसपी कुमार इंद्रप्रकाश हुसैन चौक पर पुलिस बल के साथ जमे रहे।
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बारिश के कारण देर से शुरू हुई नमाज
सोमवार की रात हुई बारिश के कारण ईदगाह में कुछ स्थानों पर पानी जम गया था। सुबह आठ बजे नमाज होनी थी लेकिन तब तक पानी सूखा नहीं था। लोगों ने जब पानी देखा तो इसे सुखाने की फिराक में लग गए। इस कार्य में नगर परिषद के कर्मियों ने भी साथ दिया। पानी निकालने के बाद बालू छिड़का गया और आठ के बदले नौ बजे नमाज शुरू हुई।
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खुशियों का उमड़ा सैलाब
इस मौके पर ईदगाह में खुशियों का सैलाब उमड़ पड़ा। वाकई मौका भी खुशी का था। यह पर्व ही खुशियों का होता है। एक महीने के रोजा रखने के बाद लोगों के हाथ खुशी का यह मौका आता है। लोगों ने अमन-चैन की दुआ के साथ नमाज अदा की।
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गले लगे, बोले ईद मुबारक
नमाज अदा करने के बाद लोग एक दूसरे के गले लगकर ईद की मुबारकबाद दी। ईदगाह के बाहर मेले सा नजारा था। बाहर भी काफी संख्या में लोग खड़े थे। नमाज अदा करने के बाद जब लोग ईदगाह परिसर से बाहर निकले तो एक-दूसरे से गले मिले। इसमें दूसरे धर्मावलंबी भी थे। यह यहां की विशेषता रही है कि हिदुओं के पर्व में मुस्लिम और मुस्लिमों के पर्व में हिदू भी शामिल होते हैं। इस परंपरा का निर्वहन सदियों से होता आ रहा है।
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बच्चे थे उत्साहित
छोटे मियां ने सोमवार को जैसे ही जाना कि कल ईद है तब से उसका उत्साह सातवें आसमान पर था। रात में जैसे उसकी नींद ही गायब थी। अम्मी ने रात का खाना खिलाया और सोने का हुक्म फरमा दिया लेकिन उस नन्हीं जान की ईद की खुशी में नींद गायब थी। अम्मी घर के काम और ईद की तैयारी में लगे रहने से देर से सोने आई तो देखा जनाब की आंखें खुली हैं। अम्मी के आते ही उसने सवाल दागना शुरू किया अम्मी, मेरे नए वाले कपड़े कहां हैं, असलम की हरे रंग वाली टोपी कितनी अच्छी थी, कितने बजे ईदगाह जाना है आदि-आदि। अब्बू ने जब डांट पिलाई तब जनाब सोए थे लेकिन मुर्गे ने बांग भी नहीं दिया था कि जग गए और समय से अब्बूजान के साथ ईदगाह में हाजिर हो गए।
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ईदगाह के बाहर सजी थी दुकानें
ईदगाह के बाहर दुकानें सजी थी जिससे मेले का नजारा था। यहां बच्चों के लिए झूले भी लगाए गए थे। बच्चों ने मेले में खूब धमाचौकड़ी की।
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लोगों ने जरूरतमंदों को दिया दान
रमजान का महीना पवित्र महीना माना जाता है। यह तीन आसरा में बंटा होता है। पहला आसरा रहमत, दूसरा आसरा मगफिरत और तीसरा आसरा इंसानियत का पैगाम देनेवाला होता है। तीसरा आसरा जहन्नुम से निजात दिलानेवाला होता है। इस आसरे में लोग अपने गुनाहों से माफी की दुआ करते हैं। इस महीने में गरीबों और लाचारों को दान की प्रथा भी है। माना जाता है कि इस महीने में दान देने, भूखों और गरीबों को भोजन देने वालों पर अल्लाह तआला की कृपा बनी रहती है। ईदगाह के बाहर ऐसे लोगों के बीच दान भी दिया गया।
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सोमवार से ही शुरू हो गया था बधाई देने का सिलसिला
अलविदा जुमा की नमाज अदा के साथ ही ईद की मुबारकबाद देनी शुरू हो जाती है। सोमवार को जब चांद दिखाई देने और मंगलवार को ईद मनाए जाने की घोषणा की गई तो बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया जो पूरे दिन चलता रहा। लोग एक-दूसरे के घर जाकर ईद की मुबारकबाद दे रहे थे और सेवई का आनंद ले रहे थे। इसके साथ दूर रहने वाले अपने स्वजन और इष्ट-मित्रों को इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बधाई दी। इसके साथ खुशियों का यह त्योहार खुशियों के माहौल में संपन्न हो गया।
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