Updated: Mon, 06 Oct 2025 02:07 PM (IST)
नेपाल और उत्तरी बिहार में भारी बारिश के चलते कोसी नदी में जलस्तर बढ़ गया है जिससे सुपौल जिले में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 5 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के बाद कई गांवों में पानी भर गया है। प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहा है और राहत शिविरों की स्थापना की गई है। लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
जागरण संवाददाता, सुपौल। नेपाल और उत्तर बिहार में हो रही लगातार भारी वर्षा ने कोसी नदी को उफान पर ला दिया है। रविवार दोपहर तीन बजे कोसी बराज पर नदी का डिस्चार्ज 5,33,540 क्यूसेक दर्ज किया गया, जो इस वर्ष का अधिकतम प्रवाह है। चार बजे तक यह स्तर स्थिर बना रहा। बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं।
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अभियंताओं के अनुसार फिलहाल जलस्राव को निर्बाध रूप से टेल एंड तक भेजा जा रहा है। गंगा में जलस्तर सामान्य रहने से कोई खतरा नहीं है। मुख्य अभियंता संजीव शैलेश ने बताया कि सभी अभियंता सतर्क हैं और लगातार निगरानी रखी जा रही है।
इधर, जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी के बाद जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। जिलाधिकारी सावन कुमार ने पूर्वी कोसी तटबंध के विभिन्न बिंदुओं का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। तटबंध के भीतर बसे गांवों में माइकिंग कर लोगों से ऊंचे और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है।
प्रशासन ने अब तक सैकड़ों परिवारों को नावों की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। सुपौल, सरायगढ़-भपटियाही, मरौना और किसनपुर सहित चार प्रखंडों में तटबंध के अंदर बसे 50 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घरों में घुस गया है। कई परिवार नावों के सहारे सुरक्षित स्थानों की ओर रवाना हुए, जबकि कुछ लोग तटबंधों और गाइड बांधों पर शरण लिए हुए हैं।
तिलयुगा और बिहुल जैसी सहायक नदियों के उफान ने स्थिति और बिगाड़ दी है। तिलयुगा के जलभराव से दर्जनों किसानों की पकी धान की फसलें नष्ट हो गई हैं, जिससे ग्रामीणों में चिंता बढ़ गई है। प्रशासन के अनुसार प्रभावित इलाकों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
वहां भोजन, पानी और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गई है। नदी में मछली पकड़ने, लकड़ी चुनने और छोटी नावों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है। लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।
पिछले वर्ष भी मची थी तबाही:
कोसी एक बार फिर उफान पर है। नदी का यह रूप देखकर लोगों को पिछले वर्ष की तबाही याद आ गई, जब 28 सितंबर को 6.61 लाख क्यूसेक का रिकार्ड डिस्चार्ज हुआ था। उस समय महज तीन घंटे में तटबंध के भीतर तबाही मच गई थी। कई सड़कें और पुल-पुलिया बह गए थे। कोसी में पांच पांच अक्टूबर 1968 को अब तक का सर्वाधिक 9.13 लाख क्यूसेक जलस्राव हुआ है।
अररिया- अन्य नदियां भी उफान पर
नेपाल में हुई भारी बारिश के कारण अररिया से बहने वाली बकरा, नूना, परमान और कनकई आदि नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। पलासी प्रखंड में बकरा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से नदी के किनारे बसे लोगों में बाढ़ व कटाव की आशंका सताने लगी है। सिकटी प्रखंड में भी बकरा और नूना उफान पर है। प्रखंड के मजरख वार्ड सात में नूना का पानी घर आंगन में घुस गया है। पड़रिया सिंहीया में नूना के तेज बहाव से सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है।
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