Bihar Chunav: आसान नहीं है मतदाताओं के मन की किताब को पढ़ लेना
सुपौल जिले में 11 नवंबर को मतदान होना है, लेकिन चुनावी माहौल अभी शांत है। लोग त्योहारों की तैयारियों में व्यस्त हैं। ऑटो से यात्रा करते हुए पता चला कि मतदाताओं के मन की बात जानना आसान नहीं है। ऑटो चालकों ने डीजल की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई, जबकि यात्रियों ने सड़क के विकास की सराहना की।
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, सुपाैल। सुपौल जिले के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे चरण में यानी 11 नवंबर को मतदान होना है। त्योहारी मौसम है सो चुनावी सरगर्मी अभी मंद ही दिखाई दे रही है।
लाेग-बाग अपने कामों और पर्व त्योहार की तैयारी में ही अधिक व्यस्त दिखाई दे रहे हैं। लिहाजा चुनावी चर्चाएं भी परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। त्योहारी मौसम के बीच चुनावी बयार को भांपने सुपौल की पूर्वी सीमा मधेपुरा जिले के गम्हरिया तक ऑटो से इलेक्शन ट्रेवल की शुरुआत की गई तो सबकुछ आम दिनों जैसा।
ना कहीं कोई झंडा, बैनर, ना लाउडस्पीकर का शोर। मतदाताओं से भी बात करने पर क्या होना चाहिए जो हुआ और क्या होना चाहिए जो नहीं हुआ को अगर उनके मन का पैमाना मान लें तो लगा जैसे आसान नहीं है उनकी मन की किताब को पढ़ लेना।
यात्रा की शुरुआत चकला निर्मली चाैक से हुई। दरअसल इस होकर सिंहेश्वर तक बस भी जाती है। मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर स्थित महादेव मंदिर को इधर मिनी बाबाधाम का दर्जा प्राप्त है। वहां पूजा करने दूर-दूर से श्रद्धालु जाते हैं। यह विधानसभा क्षेत्र भी है जो सुपौल लोकसभा का हिस्सा है।
खैर, सिंहेश्वर बाबा की महिमा के कारण भी सुपौल-सिंहेश्वर स्टेट हाईवे पर सुबह से लेकर देर शाम तक बसों की आवाजाही होती रहती है। इसके अलावा ऑटो, ई-रिक्शा भी काफी संख्या में चलते हैं। यह संयोग था कि बस आने में देरी थी, सो ऑटो से ही निकलना अच्छा था।
ऑटो में भी दो-तीन ही पैसेंजर थे लेकिन ऑटो वाला रुकना भी उचित नहीं समझ रहा था कि पता नहीं कहीं बस आ गई तो यह सवारी भी उतर जाएगी। हालांकि इस मार्ग में ऑटो और बस का किराया एक ही है। बस से जाइए कि आटो से गम्हरिया तक का 40 रुपये देना होगा। खैर ऑटो चल पड़ी।
शहर के पूर्वी भाग में नहर पार करते ही आबादी लगभग खत्म सी हो जाती है तो ऑटो वाले विजय से ही पूछ लिया कि चुनाव का क्या कुछ चल रहा है, तो उसने जवाब दिया कि कहां कुछ चल रहा है। दिनभर ऑटो चलाते हैं तो पेट चलता है।
ई-रिक्शावाला सब तो और परेशान किए रहता है। एके गो सवारी हुआ कि ले के चल देता है। उसको तो तेल लगता नहीं है, और तेल का दाम कितना बढ़ गया है यह तो सब जानते हैं। ऐसे में पेट चलाना मुश्किल हो गया है। डीजल का दाम गिरे इस पर किसी का ध्याने नहीं है। डीजल से किसानों का काम होता है और हमलोगों का भी।
ऑटो से सिंहेश्वर जा रहे जागेश्वर मेहता इस चर्चा में खुद शामिल हो जाते हैं। वे कहते हैं कि ठीके कहते हैं ड्राइवर साहेब लेकिन यह भी तो सोचिए इस सड़क पर चलना कितना मुश्किल था। यह बहुत दिनों की बात नहीं है 10-15 साल पहले इतने गड्ढे थे कि टेंपो चलती थी नहीं और बस पर भी लोग जान हथेली पर लेकर सफर करते थे।
अभी देखिए सड़क चकाचक जिसपर आपकी टेंपो फर्राटे भर रही है। चारों ओर सड़कें ही सड़कें बनी है जहां आपलोग टेंपो लेकर जाते हैं। डीजल की कीमत बढ़ी तो कमाई भी तो बढ़ गई है। बातों ही बातों में आटो हरदी दुर्गा स्थान पहुंच गई। यह वही स्थान है जहां की वन देवी दुर्गा की पूजा पांडवों ने भी की थी।
कहा जाता था कि वन देवी को मंदिर में रहना पसंद नहीं था। बाद में स्थानीय लोगों ने माता की काफी पूजा-अर्चना की तो उन्होंने मंदिर निर्माण का आदेश दिया। आज यहां भव्य मंदिर है। जिन्हें माता की महिमा की जानकारी है वे इधर से गुजरते समय शीश झुकाना नहीं भूलते हैं। ऐसा ऑटो में सवार लोगों ने भी किया।
मंदिर के ठीक सामने पहुंचने पर विजय ने ऑटो का हार्न बजाया। कहा कि मंदिर के सामने से गाड़ी से गुजरने पर हार्न जरूर बजा देना चाहिए। यह उसकी आस्था का तरीका था। यहां वीर लोरिक की प्रतिमा भी सालों भर रहती है जहां कार्तिक में एक महीने का मेला लगता है।
राजकीय समारोह भी आयोजित किया जाता है। थोड़ी देर के लिए ऑटो रुकी तो एकाध सवारी और चढ़ गए। शायद पूजा करने के बाद वे आए थे। वे बोले कि कितना मनोरम व पवित्र स्थान है, इसे तो पर्यटन स्थल बनाया जाना चाहिए। ऑटो पर सवार लक्ष्मण यादव ने कहा कि नेताजी लोग चुनाव में माता के पास हाजिरी लगाने आते हैं लेकिन इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कोई पहल नहीं करते।
बताया कि बगल में ही लोरिक डीह है। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा तो क्षेत्र का विकास होगा लेकिन इसपर काम नहीं हो रहा है। इधर 20-25 मिनट का समय बीत चुका था और सामने सुपौल जिला समाप्त का बोर्ड लगा था और वहां पुलिस कैंप कार्यरत था जहां वाहनों की जांच हो रही थी।विधानसभा चुनाव को लेकर यह सख्ती बरती जा रही थी। इससे आगे का क्षेत्र मधेपुरा विधानसभा का है।

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