जहां बाढ़ से डूब जाता था इलाका वहां पानी को तरस रहे किसान
संवाद सूत्र सरायगढ़ (सुपौल) बरसात के मौसम में वर्षा नहीं होने और खेतों की सिचाई के लिए स
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : बरसात के मौसम में वर्षा नहीं होने और खेतों की सिचाई के लिए साधन उपलब्ध नहीं होने से कोसी नदी से घिरे गांव के किसान परेशान हो उठे हैं। तटबंध के बाहर की कौन कहे तटबंध के अंदर किसान पानी के अभाव में इस बार धान की रोपनी नहीं कर पाए। जहां फसल लगाई गई वह पीली पड़ रही है। अन्य वर्षों में कोसी नदी में बाढ़ आने के कारण किसान के खेतों में पानी भरा रहता था लेकिन इस बार किसान परेशान हैं।
कोसी के गांव के कई किसानों का कहना है कि हजारों एकड़ खेत पानी के बिना सूखा पड़ा है। बिना पानी का किसानी कैसे होगी यह अब समझ में नहीं आ रहा है। ढोली गांव के किसान संतोष कुमार सिंह, मु. कलीम उद्दीन सहित कुछ अन्य किसान बताते हैं कि सिचाई के लिए बोरिग की भी व्यवस्था नहीं है। नदी में पंपसेट लगाकर सिचाई संभव नहीं हो रहा है। खेत की मिट्टी बलुआही है उस कारण पानी अधिक लगता है। किसानों का कहना है कि लंबे समय बाद ऐसा हुआ है कि वह सब कोसी के कछार पर रहकर भी पानी के लिए तरस रहे हैं।
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सूख रही फसल
कोसी के किसान कहते हैं कि पानी के अभाव में एक तो धान की रोपनी नहीं हो पाई। यदि कहीं धान की रोपनी की भी गई है तो वह सूख गई है। किसानों का कहना है कि यह हाल रहा तो इस बार धान से हाथ धोना पड़ेगा। इलाके के कई किसानों ने सरकार से जगह-जगह सिचाई का साधन उपलब्ध कराने की मांग की है। ऐसे किसानों का कहना है कि वर्षा के पानी और फिर नदी के पानी पर निर्भर रह कर फसल उगाना संभव नहीं दिख रहा है।