बरसात आते ही हो जाती है बच्चों की छुट्टी, 19 साल से भवन की राह ताक रहा स्कूल
सुपौल के सरायगढ़ प्रखंड में प्राथमिक विद्यालय फूलदेव मुखिया टोला नारायणपुर 2006 से बिना भवन के चल रहा है। 187 बच्चे वृक्ष के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के अनुसार जमीन उपलब्ध होने के बावजूद भवन निर्माण नहीं हो रहा है जिससे बरसात में विद्यालय बंद हो जाता है। शिक्षक विभाग को पत्राचार कर चुके हैं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

विमल भारती, सरायगढ़ (सुपौल)। शिक्षा तो बच्चों का मौलिक अधिकार है। राज्य और केंद्र सरकार शिक्षा के क्षेत्र में नई योजनाओं और भवन निर्माण की योजनाओं की चर्चा तो खूब करती है, लेकिन इन योजनाओं का असर हर जगह नहीं दिखता है।
सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय फूलदेव मुखिया टोला नारायणपुर (वार्ड नंबर 11) की स्थिति इसकी जीती-जागती मिसाल है। 2006 में स्थापित यह विद्यालय आज तक भवन के अभाव में जर्जर हालात में है। बीते 19 वर्षों से यहां के बच्चे वृक्ष के नीचे बैठकर शिक्षा पाने को विवश हैं।
187 बच्चों का नामांकन, बैठने की जगह नहीं
विद्यालय की स्थापना के बाद से अब तक यहां 187 छात्र-छात्राओं का नामांकन है लेकिन इन बच्चों को न तो उचित क्लास रूम मिला है और न ही पढ़ने के लिए सुरक्षित वातावरण। मजबूरी में शिक्षक और बच्चे बरसात हो या तपती धूप, सभी परिस्थितियों में वृक्ष के नीचे बैठकर शिक्षा का अलख जगाने की कोशिश करते हैं।
एक कोने में फूस से बना अस्थायी ढांचा जरूर है, मगर वह न तो सुरक्षित है और न ही बच्चों के अनुकूल। गांव के अभिभावक बताते हैं कि बीते वर्षों में कई बच्चे यहां से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर दूसरे विद्यालयों में चले गए, लेकिन हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं।
बरसात में छोड़ देते हैं स्कूल
ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध हो चुकी है, एनओसी भी प्राप्त कर विभाग को भेज दी गई है, मगर भवन निर्माण की दिशा में कोई पहल नहीं हो रही। नतीजा यह है कि जैसे ही बारिश आती है, विद्यालय लगभग ठप हो जाता है।
बच्चे भीगने से बचने के लिए स्कूल छोड़ देते हैं। यही स्थिति तेज धूप और ठंडी के दिनों में भी रहती है। ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर कब तक उनके बच्चे वृक्ष तले शिक्षा प्राप्त करेंगे।
प्रधान और शिक्षक बोले क्या करें
विद्यालय प्रधान विपिन राय और शिक्षक पवन कुमार मंडल व रोहित कुमार सिंह बताते हैं कि वे लगातार विभाग को पत्राचार कर चुके हैं। प्रधान का कहना है कि विभाग को बार-बार लिखने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। बरसात में बच्चे घर भाग जाते हैं। ऐसी हालत में पढ़ाई की निरंतरता टूट जाती है और बच्चों का भविष्य अधर में लटका रहता है।
शिक्षकों का कहना है कि वे विद्यालय का पूरा दिन बच्चों के साथ बिताते हैं, लेकिन भवन न होने की वजह से शिक्षा प्रभावित होती है।
बच्चों का दर्द, सही से नहीं पढ़ पाते
विद्यालय के कुछ बच्चों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि हमें बहुत कष्ट होता है। वृक्ष के नीचे बैठकर सही से पढ़ाई नहीं हो पाती। जगह भी नहीं है। पड़ोसी गांवों के विद्यालयों में पक्का भवन है, लेकिन हमारे यहां अभी तक भवन नहीं बना। जब भी कोई पदाधिकारी जांच में आते हैं, हम अपनी समस्या बताते हैं मगर कोई सुनवाई नहीं होती।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।