दो जातियों के इर्द-गिर्द घूमती रही है पिपरा विधानसभा की राजनीति, इस बार क्या है पार्टियों की रणनीति?
सुपौल जिले के पिपरा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। टिकट के दावेदार खुलकर सामने आ रहे हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। महागठबंधन और एनडीए दोनों ही गठबंधन जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार की तलाश में हैं। केवट और यादव जातियों के इर्द-गिर्द ही राजनीति घूमती दिख रही है।

सुनील कुमार, सुपौल। विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजने में भले ही अभी देर है लेकिन क्षेत्र में टिकट के दावेदार खुलकर सामने आने लगे हैं। नेताओं के बीच बयानबाजी व आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गये हैं। इधर लोगों के बीच चुनावी बहस भी शुरू हो गई है।
हालांकि बहस का मुद्दा अभी टिकट तक ही सिमटा है। लोग सीटिंग विधायकों का टिकट तो निश्चित मान रहे हैं इधर अन्य दलों के टिकट को लेकर तरह तरह के कयास लगा रहे हैं।
यदि हम बात करें जिले के पिपरा विधानसभा की तो यहां एनडीए गठबंधन से वर्तमान विधायक रामविलास कामत का टिकट फिलहाल कंफर्म माना जा रहा है। वहीं महागठबंधन से कई नाम उछाले जा रहे हैं।
सो ऐसे लोग पटना और विधानसभा क्षेत्र को एक किये हुए हैं। दोनों गठबंधन में राजनीति के कुछ ऐसे माहिर खिलाड़ी भी हैं, जो पिछले दरवाजे से टिकट लपकने की जुगाड़ में लगे हैं।
खैर क्या होगा? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन पिपरा विधानसभा की राजनीति हमेशा से दो जातियों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। 2010 में जब पिपरा विधानसभा का पहला चुनाव हुआ तो यहां केवट जाति से आने वाली सुजाता देवी ने जदयू से जीत हासिल की।
इस चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंद्वी यादव जाति के प्रत्याशी रहे। फिर 2015 के चुनाव में केवट और यादव जाति के प्रत्याशी के बीच मुकाबला रहा। इस चुनाव में यादव जाति के प्रत्याशी यदुवंश कुमार यादव ने जीत हासिल की।
इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में दोनों गठबंधन ने एक ही जाति केवट को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में एनडीए प्रत्याशी ने जीत हासिल की।
फिर इन्हीं जातियों पर लगेगा दांव?
टिकट को लेकर लोगों के बीच हो रही चर्चा की माने तो इस बार के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन भी केवट जाति के उम्मीदवार के ही तलाश में है।
इसको लेकर पिछले दिनों इस जाति के कई लोगों ने राजद का दामन थाम टिकट को लेकर भागदौड़ शुरू कर दिया है। अगर हम बात करें जन सुराज की तो वह भी इसी जाति पर दाव आजमाने के मूड में है।
इस पार्टी के एक सर्वेयर ने बताया कि उनकी पार्टी भी एक मजबूत केवट की तलाश कर रही है। अंदरखाने से आ रही बातों पर यकीन करें तो इस जाति के कई लोग इनके संपर्क में भी हैं, जहां तक राजद की बात है वह अपने कोर वोटर को भी निराश नहीं कर सकता।
यहां से कई ऐसे दावेदार हैं जो अपना टिकट कंफर्म मान रहे हैं। इन्हीं में से एक ने बताया कि पार्टी आलाकमान से उन्हें हरी झंडी मिल गई है ऐसे में वे अब जनता के बीच जाएंगे।
इधर, एनडीए प्रत्याशी को भी कुछ अनहोनी का डर सता रहा है, हालांकि इस गठबंधन से विधायक पूरा चुनावी मोड में आ गए हैं। एनडीए कार्यालय तक खुल गए हैं। कार्यालय खोलकर वे लगातार जनसंपर्क में जुटे हुए हैं।
ये बताते हैं कि उनकी जीत पक्की है। अब तक हुए तीन बार के चुनाव में यादव जाति के प्रत्याशी तब जीते जब जदयू से गठबंधन था। खैर, क्या होगा यह तो समय बताएगा, लेकिन टिकट के दावेदारों की लंबी लिस्ट दोनों गठबंधन के पास है।
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