Kosi River: कोसी नदी में बढ़ने लगा पानी, लोगों की शुरू हो गई परेशानी
मई माह में ही कोसी के पानी में रह-रहकर बढ़ोतरी हो रही है। जानकारी अनुसार कोसी नदी के सभी मुहाना में पानी भर रहा है। जहां लोग पैदल चलते थे वहां अब नाव की जरूरत हो गई है। कोसी के गांव के कई लोगों का कहना है जून माह से लेकर सितंबर माह तक नदी के विभिन्न घाटों पर सरकार को स्थाई रूप से नाव देना चाहिए।

संवाद सूत्र, सरायगढ़ ( सुपौल)। प्राय: प्रत्येक साल बाढ़ और कटाव को लेकर चर्चा में रहने वाली कोसी नदी का पानी अब गेरुआ हो चुका है। यह गेरुआ पानी आगे चार से पांच माह तक बहता रहेगा।
कोसी नदी में 15 जून से लेकर 15 सितंबर तक पानी के उतार चढ़ाव से पदाधिकारी और आमजन सतर्क रहते हैं। इस बार मई माह में ही कोसी के पानी में रह-रहकर बढ़ोतरी हो रही है।
जानकारी अनुसार कोसी नदी के सभी मुहाना में पानी भर रहा है। जहां लोग पैदल चलते थे वहां अब नाव की जरूरत हो गई है। कोसी के अंदर बसे लोग नदी के कछार पर कई प्रकार की खेती करते हैं।
लोगों को फसल बेचने के लिए भी नाव का सहारा लेना पड़ता है। बाढ़ का पानी आने से पहले लोग अपने अनाज को सुरक्षित जगह पर पहुंचा देते हैं। जो अनाज बच जाता उसके लिए नाव की व्यवस्था करके रखते हैं।
नहीं दी जाती सरकारी स्तर से नाव
कोसी नदी में जब से लोगों की परेशानी सामने आने लगती है उस समय से सरकार के स्तर से कोई नाव नहीं दी जाती है। कोसी के गांव के कई लोगों का कहना है जून माह से लेकर सितंबर माह तक नदी के विभिन्न घाटों पर सरकार को स्थाई रूप से नाव देना चाहिए।
सोमवार को नदी पार कर रही कई महिलाओं ने बताया कि कोसी की विभिन्न धारा में पानी भर गया और वहां पैदल पार करने में समस्या होती है। खेती-बाड़ी कोसी के गांव में ही है इसलिए आना-जाना पड़ता है।
उनलोगों का कहना था कि माल-मवेशी रखने के लिए तटबंध से बाहर जगह नहीं है। मजबूरी में तटबंध के अंदर ही मवेशी रखते हैं। नदी के सभी मुहाना अब बराबर पानी रहेगा। आपदा विभाग को चाहिए की सभी घाट पर नाव बहाल करे।
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