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    सुपौल के 9 प्रखंडों में स्थापित होंगे जैव उपादान संसाधन केंद्र, जैविक खेती करने वाले किसानों को मिलेगा लाभ

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 04:01 PM (IST)

    सुपौल जिले में रासायनिक खाद के दुष्प्रभावों को देखते हुए किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत नौ प्रखंडों में सात जैव उपादान संसाधन केंद्र खुलेंगे। इन केंद्रों से किसानों को जैविक खाद और अन्य जैविक संसाधनों के उपयोग के बारे में जानकारी मिलेगी जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी।

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    जैविक खेती करने वाले किसानों को मिलेगा लाभ। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, सुपौल। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के बढ़ते दुष्प्रभाव के बीच किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए जिले में एक नई पहल शुरू की गई है।

    राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के तहत जिले के नौ प्रखंडों में सात जैव उपादान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसके शुरू हो जाने से जिले में न सिर्फ प्राकृतिक खेती को बल मिलेगा, बल्कि बीमारु के कगार पर पहुंच चुकी मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी।

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    जिला कृषि पदाधिकारी की मानें तो इन केंद्रों का उद्देश्य किसानों को पशुधन आधारित जैविक खाद, गोमूत्र, वर्मी कंपोस्ट, बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत सहित अन्य जैविक संसाधनों के प्रयोग के प्रति जागरूक करना है।

    ससे न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी बल्कि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता भी कम होगी।

    किसानों को मिलेगा लाभ

    जिले के जिन नौ प्रखंडों में जैव उपादान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे उसमें सुपौल, पिपरा, त्रिवेणीगंज, राघोपुर, छातापुर, किशनपुर, सरायगढ़, प्रतापगंज और निर्मली शामिल हैं।

    इन सभी प्रखंडों में प्रत्येक तीन क्लस्टर पर दो केंद्र की स्थापना होगी। इन केंद्रों से किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी जानकारी और जैव उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी। इससे किसानों को लाभ मिलेगा।

    16 सितंबर तक लिए जाएंगे आवेदन

    इन केंद्रों के संचालन के लिए इच्छुक किसान, किसान समूह, सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन, प्राकृतिक कृषि मित्र समिति, जैविक खेती समिति और ग्रामीण उद्यमी आवेदन कर सकते हैं।

    विभाग द्वारा आवेदकों के लिए जो अर्हता निर्धारित है उसके मुताबिक आवेदक के पास कम से कम 10 देसी पशुधन उपलब्ध होने चाहिए। इसके अलावा पर्याप्त भूमि, भंडारण व कंपोस्टिंग की सुविधा होनी चाहिए।

    केंद्र का लोकेशन ऐसा हो जहां किसानों की सहज पहुंच हो सके। इच्छुक किसानों से 16 सितंबर तक आवेदन लिए जाएंगे।

    जैव उपादान संसाधन केंद्र से किसानों को कम लागत में टिकाऊ खेती का विकल्प मिलेगा। मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। साथ ही उपभोक्ताओं को शुद्ध और सुरक्षित कृषि उत्पाद उपलब्ध होंगे। प्रत्येक केंद्र की स्थापना के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। - पप्पू कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी