MGNREGA Scheme: लक्ष्य से भटकी मनरेगा, रोजगार के लिए भटक रहे मजदूर
MGNREGA Scheme मनरेगा के तहत अधिकांश पंचायतों में अभियंताओं व बिचौलियों की मिलीभगत से स्थल पर करवाए जाने वाले कार्यों का प्राक्कलन लागत से तीन गुणा ज्यादा बनवाकर सरकारी राशि की बंदरबांट हो रही है। पंचायतों में संचालित मनरेगा योजनाओं का अनुश्रवण सही से नहीं किया जा रहा है। जिस कारण योजना के क्रियान्वयन में भारी लूट मची हुई है।

संजय कुमार, छातापुर (सुपौल)। केंद्र प्रायोजित मनरेगा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने व ग्रामीण इलाकों में विकासात्मक कार्यों में तेजी लाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, परंतु अधिकारी व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह योजना लक्ष्य से भटक गई जिससे मजदूर रोजगार के लिए भटक रहे हैं।
मनरेगा के क्रियान्वयन में व्यापक अनियमितता व लूट-खसोट की खबरें अब सामान्य-सी प्रतीत होती हैं। प्रखंड क्षेत्र की अलग-अलग पंचायतों में मनरेगा के तहत नियम के प्रतिकूल मनमाने ढंग से कार्य कराए जा रहे हैं।
कहा गया कि मनरेगा के तहत अधिकांश पंचायतों में अभियंताओं व बिचौलियों की मिलीभगत से स्थल पर करवाए जाने वाले कार्यों का प्राक्कलन लागत से तीन गुणा ज्यादा बनवाकर सरकारी राशि की बंदरबांट हो रही है। पंचायतों में संचालित मनरेगा योजनाओं का अनुश्रवण सही से नहीं किया जा रहा है। जिस कारण योजना के क्रियान्वयन में भारी लूट मची हुई है।
विभागीय अधिकारी एवं जन प्रतिनिधि अनुपयोगी योजनाओं का चयन कर उस पर कार्य करा रहे हैं। अधिकांश पंचायतों से होकर कई छोटी-बड़ी विलेज केनाल गुजरती है जिसकी सफाई कराने के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर विभाग से फर्जी मजदूरों के नाम पर लाखों की हेराफेरी की गई है।
जिस नहर या भीसी में वर्षों से पानी नहीं आया हर साल उसकी सफाई करा कर लीपा पोती की जाती रही है। यदि वरीय अधिकारियों के द्वारा इसकी जांच हो तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। खासकर प्रखंड के लालगंज तिलाठी, ठुठ्ठी, भीमपुर और घिवहा पंचायत में नदी का चिरान, बांध मरम्मत और भीसी की तल सफाई और बांध मरम्मत के नाम पर सबसे अधिक राशि की निकासी हुई है।
कई पंचायतों में स्कूल परिसर में मिट्टी भराई का कार्य किया गया। यहां मजदूरों को रोजगार तो नहीं मिला अलबत्ता ट्रैक्टरों व अन्य यांत्रिक साधनों का प्रयोग कर योजना संपादित जरूर हो गई। मिट्टी भराई के नाम पर मजदूरों के नाम फर्जी तरीके से पैसों की निकासी कर ली गई।
मजदूर के बदले जेसीबी से होता काम
केंद्र सरकार ने ग्रामीण स्तर पर जाब कार्डधारियों को 100 दिन काम उपलब्ध कराने की गारंटी के तहत महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना शुरू की है। इस योजना के तहत पौधारोपण, पशुशेड, छोटे-छोटे पुल पुलिया, निजी जमीन में पोखर निर्माण कार्य भी किया जाता है ताकि मजदूरों को 100 दिन कार्य मिल सके।
धरातल पर पोखर निर्माण तो होता है, लेकिन मजदूरों को काम नहीं मिलता जेसीबी से पोखर बन जाते हैं। राशि निकासी के लिए पदाधिकारी की मिलीभगत से जनप्रतिनिधियों के द्वारा फर्जी मजदूर का जाब कार्ड बनाकर पैसों का बंदरबांट कर लिया जाता है। इतना ही नहीं क्षेत्र के किसी भी पंचायत में मनरेगा योजना में निर्माण कार्य शुरू करने से पहले प्राक्कलन बोर्ड नहीं लगाया जाता है, जिस कारण आम ग्रामीणों को सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
क्या कहते हैं पीओ?
मनरेगा पीओ कौशल कुमार राय ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में कुल 31455 सक्रिय जाब कार्डधारी हैं। वित्तीय वर्ष 23-24 में 31 परिवारों को 100 दिन का काम मिला है। उन्होंने बताया कि जो कार्डधारी काम की मांग करते हैं उसे 15 दिनों के अंदर काम मुहैया कराया जाता है। यदि 15 दिनों के अंदर काम की उपलब्धता नहीं रहती है तो उसे दैनिक मजदूरी का एक चौथाई हिस्सा दिया जाता है।
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