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    Maize Market Price: मक्का किसानों को लागत निकालना हुआ मुश्किल, महज इतने रुपये में फसल बेंचने को हैं मजबूर

    Updated: Thu, 30 May 2024 08:11 PM (IST)

    पीला सोना के नाम से मशहूर मक्के की फसल की लागत के हिसाब से उचित दाम (Maize Market Price) नहीं मिलने से सुपौल के किसान परेशान हैं। उन्हें लागत निकलने में भी मुश्किल आ रही है। सुपौल में बड़े पैमाने पर मक्के की खेती होती है। मक्का की खेती का रकबा भले ही बढ़ता ही जा रहा लेकिन किसानों को लागत के हिसाब से मूल्य नहीं मिल रहा है।

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    मक्का किसानों को लागत निकालना हुआ मुश्किल। (फाइल फोटो)

    संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल)। Maize Market Price  पीला सोना के नाम से मशहूर मक्के की फसल की लागत के हिसाब से उचित दाम (Maize Market Price in Bihar) नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। उन्हें प्रति एकड़ में खर्च हुए रुपये निकलना भी मुश्किल हो रहा है, जबकि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मक्का फसल की खेती होती है।

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    प्रतिवर्ष मक्का फसल की खेती का रकबा भले ही बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन लागत के हिसाब से किसानों को मूल्य नहीं मिल रहा है। बोआई के समय किसानों ने महंगी खाद, बीज और कीटनाशक की खरीद की थी, लेकिन जब फसल तैयार हुई, तो उन्हें अब कम दाम में बेचना पड़ रहा है।

    खासकर गरीब किसानों को समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करे। एक तो बड़ी मंडी का अभाव दूसरा इस इलाके में मक्का आधारित कोई भी उद्योग स्थापित नहीं रहने से किसानों की परेशानी दिनोंदिन कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।

    लिहाजा दिन-रात मेहनत करने व व्यापक पैमाने पर मक्का की बेहतर उपज प्राप्त करने के बावजूद भी किसानों को उचित दाम नहीं मिलने से उसकी परेशानी लाजिमी है। जबकि प्रखंड क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में मक्के की खेती के प्रति किसानों का रुझान काफी बढ़ा है।

    अन्य फसलों के मुकाबले अधिक लाभ के कारण इसके रकबे में लगातार बढ़ोतरी भी हो रही है। प्रखंड क्षेत्र के गुड़िया, कुशहा, परसागढ़ी, मीरजावा, औरलाहा, गौनहा, कड़हरवा, थलहा-गढ़िया उत्तर, कोरियापट्टी पूर्वी, नंदना आदि पंचायतों में बड़े पैमाने पर किसान मक्का की खेती करते हैं।

    फसल तैयारी के समय मक्का उत्पादक किसानों को अपने उत्पाद की बिक्री करने के लिए नजदीक में बड़ी मंडी उपलब्ध नहीं है। वे बिचौलियों के हाथों औने-पौने दाम पर मक्का बेचने पर मजबूर हैं। कुछ को छोड़ दिया जाय तो अधिकांश किसानों के पास अपने उत्पाद के भंडारण के लिए कोई भी समुचित व्यवस्था नहीं है।

    लिहाजा किसान खासकर मक्का की फसल को अपने खेत एवं खलिहानों से ही औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं। यही नहीं अधिकांश किसान हर साल महाजनों से कर्ज लेकर मक्का की फसल लगाते हैं। साथ ही कड़ी मेहनत कर फसल तैयार करते हैं।

    कारण है कि अभी किसानों को पैसे की सख्त आवश्यकता है। किसानों को बेटी की शादी, बच्चों की पढ़ाई एवं महाजनों का कर्ज चुकाना जरूरी है। इसके अलावा उनके सामने कोई विकल्प नहीं है।

    वर्षों से उद्योग व बड़ी मंडी की दरकार

    प्रखंड क्षेत्र के 70 प्रतिशत किसान आर्थिक समृद्धि का द्वार खुलने की आशा लगाकर नकदी फसल के रूप में मक्का की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। लेकिन दशकों से उद्योग व बड़ी मंडी की दरकार है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

    किसान हरिनारायण यादव, बद्री यादव, विनोद यादव, संतोष कुमार आदि किसान ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मक्का फसल की खेती होने के बाद भी इस क्षेत्र में वर्षों से न तो मक्का आधारित उद्योग है और न ही मक्का बेचने के लिए इस इलाके में बड़ी मंडी एवं रैक प्वाइंट है। नतीजतन हर साल किसानों की परेशानी बढ़ती ही जाती है।

    स्थानीय व्यापारियों के हाथों मक्का बेचने को मजबूर हो जाते हैं। किसानों का कहना है कि इस साल मक्के का मूल्य जहां 1950 से 2050 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है, जबकि लागत मूल्य 25 से 30 हजार रुपये प्रति एकड़ है। किसानों ने बताया कि कड़ी मेहनत करके वे लोग अन्न उपजाते हैं, लेकिन उन्हें कितना दाम मिलना चाहिए इसका फैसला किसान नहीं बाजार करता है।

    आज बाजार का दखल इतना बढ़ चुका है कि उसका फायदा व्यापारी व मुनाफाखोर उठा रहे हैं। बताया कि किसानों को मक्का का मूल्य कम रहने के कारण उसे उसकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसानों ने गेहूं, धान की तर्ज पर राज्य सरकार से मक्का का समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग की है।

    क्या कहते हैं प्रखंड कृषि पदाधिकारी

    इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार रवि ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र के किसानों में विभाग के प्रयास के बाद मक्का फसल की खेती के प्रति रुझान लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

    पिछले वर्ष प्रखंड क्षेत्र में 44 सौ हेक्टेयर में मक्का की खेती हुई थी, जबकि इस वर्ष 56 सौ हैक्टेयर में मक्का फसल की खेती हुई है।

    उन्होंने बताया कि धान की सीजन में होनेवाली भदई मक्का लगाने के लिए विभाग की तरफ से किसानों को प्रेरित भी किया जा रहा है।

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