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    कोसी के बढ़ने लगे तेवर डूबने लगी फसल

    -फसल के पानी में डूबने से किसानों की बढ़ने लगी है निराशा -धान के बिचड़े डूबे जल्द नहीं

    By JagranEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2022 05:28 PM (IST)
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    कोसी के बढ़ने लगे तेवर डूबने लगी फसल

    -फसल के पानी में डूबने से किसानों की बढ़ने लगी है निराशा

    -धान के बिचड़े डूबे, जल्द नहीं निकला पानी तो हो जाएगा खराब

    संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : कोसी नदी में पानी बढ़ने के साथ ही कोसी के पेट में बसे लोगों की परेशानी शुरू हो गई है। कोसी नदी प्रतिवर्ष प्रभावित गांव के लोगों के लिए कम से कम चार माह तक नई-नई समस्याओं को पैदा करती रहती है। यह कभी लोगों के घरों को निशाना बनाती है तो कभी फसलों को अपने आगोश में लेती है। लोगों के घर आंगन में पानी भरे रहने के कारण आवागमन की गंभीर समस्या बन जाती है। वर्ष 2008 और 2010 में कोसी ने सैकड़ों परिवारों को विस्थापित कर दिया। कोसी के कटाव और बाढ़ से विस्थापित होकर आज भी सैकड़ों लोग बाल बच्चे सहित पूर्वी तटबंध के विभिन्न जगहों पर शरण ले रखे हैं और अपने स्थाई ठिकाने की खोज में है। फिलहाल पानी बढ़ने से फसलें डूब गई हैं जिससे किसान निराश हैं।

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    पानी में डूबी फसल

    अभी बरसात का मौसम शुरू ही हुआ है। मानसून के दस्तक देने के साथ ही कोसी नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव शुरू हो गया है। बीते तीन दिनों से कोसी के कछार पर कई लोगों के खेतों में पानी घुसा हुआ है जिसमें मूंग व पटसन सहित अन्य फसल डूब गई है। ऊपज होने की संभावना कम दिखाई देती है। कई किसानों का धान का बिचड़ा भी पानी में डूब गया है। धान का बिचड़ा पानी में डूबने के कारण किसान निराश दिखाई दे रहे हैं। कोसी के गांव के कई किसानों ने बताया इस बार परेशानी ज्यादा बढ़ने वाली है। अभी से ही नदी आक्रामक हो रही है। किसानों का कहना है कि धान का बिचड़ा पानी में डूबने के कारण वह खराब भी हो सकता है। किसानों का यह भी कहना है कि भपटियाही बाजार में रासायनिक खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है उस कारण खेती की शुरुआत नहीं की जा रही है । सनपतहा, औरही बलथरबा, खाप सदानंदपुर, बनैनियां, मौरा रहरिया, बनैनियां, ढ़ोली, कटैया, गौरीपट्टी तकिया, उग्रीपट्टी बहुरवा, लौकहा सहित कई गांव ऐसे हैं जहां प्रतिवर्ष लोग बाढ़ की तबाही झेलते रहते हैं। कोसी बासी काफी संख्या में मवेशी पालते हैं और उसको रखने के लिए उसको सुरक्षित जगह कोसी पलार हुआ करता है। पलार पर कास पटेर ज्यादा होने के कारण पशुओं का चारा आसानी से मिलते रहता है। इस बार भी किसानों को अभी से कोसी के प्रलयंकारी होने का अनुमान लगने लगा है। जगह-जगह नाव नहीं रहने के कारण भी लोग परेशान हो रहे हैं। वहीं से अंचल कार्यालय द्वारा कुछ जगहों पर नाव दी गई है।

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    कई परिवार के घर कोसी के निशाने पर

    जानकारी अनुसार कई लोगों के घर अभी से ही कोसी के निशाने पर हैं। कटैया ढ़ोली सियानी लौकहा आदि गांव से कई लोगों ने बताया कि यदि कोसी का तांडव शुरू हुआ तो उन लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। कोसी के पानी का गर्जन बढ़ता जा रहा है और इस कारण लोगों को रात में आशंका बढ़ जाती है कि कब कोसी उफना जाए। कुल मिलाकर मानसून के दस्तक देने के साथ ही कोसी वासियों के लिए समस्याएं बढ़ने लगी है और वह सब इसको लेकर चितित भी होने लगे हैं।