ज्योति का स्वरूप है परमात्मा
सुपौल। परमात्मा ज्योति का स्वरूप है। मनुष्य जीवन में भी निराकार ज्योति स्वरूप को मानते हैं। इस ज्यो ...और पढ़ें

सुपौल। परमात्मा ज्योति का स्वरूप है। मनुष्य जीवन में भी निराकार ज्योति स्वरूप को मानते हैं। इस ज्योति स्वरूप को हर कोई मानते हैं। भोलेनाथ ज्योति स्वरूप है। सोमनाथ का मतलब सोमरस पिलाने वाला, विश्वनाथ का मतलब विश्व का मालिक। इसलिए शिव शब्द के आगे नाथ शब्द लगा हुआ है। उक्त बातें प्रखंड मुख्यालय स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में दुर्गा पूजा के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रवचन के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को सर्व आत्मा पिता के बारे मे बताया गया। इस दौरान साध्वी शालिनी बहन ने कहा कि शिव शब्द के आगे नाथ शब्द लगा हुआ है। जो भी देवता हैं वे सब दिन एक रूप युवक के रूप में दिखते है। केवल विश्वकर्मा एवं ब्रह्मा जी हैं जो बूढ़े के रूप में दिखते हैं। महाभारत में भी श्री कृष्ण ने शिव की पूजा की। इसीलिए इन्हें देवों का देव महादेव कहा जाता है। शिव दुखहर्ता और सुखदाता हैं। सृष्टि के मालिक को सब अपने अपने अनुसार मानते हैं। लेकिन ज्योति स्वरूप परमात्मा को सब मानते हैं। परमात्मा सबका पिता है। लेकिन शरीर का पिता नहीं है। आत्मा शरीर रूपी ड्रेस पहने हुआ है। आत्मा के चले जाने पर दीपक जलाते हैं। आत्मा कभी मरती नहीं है। जब आत्मा शरीर से चली जाती है तो उसे लाश कहते हैं। आत्मा का कभी नाश नहीं होता है। ज्ञान के अभाव के कारण शक्ति नहीं है। इसलिए हमारे अंदर सहन शक्ति समाप्त हो रही है। जब हमारे अंदर ज्ञान आएगा तो सहन शक्ति खुद आ जाएगी। सत्संग में बहन जयमाला, यशोदा बहन, लक्ष्मी बहन ने मंच साझा किया।

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