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    अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट से जुड़े साइबर फ्रॉड गिरोह का हुआ भंडाफोड़, सुपौल का हर्षित निकला मास्टरमाइंड

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 06:35 PM (IST)

    आर्थिक अपराध इकाई बिहार की साइबर विंग ने सुपौल में छापेमारी कर हर्षित कुमार को गिरफ्तार किया। वह सिम बाक्स डिवाइस के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी में शामिल था और अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के संपर्क में था। उसके पास से सिम बाक्स सिम कार्ड पासबुक और एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं। हर्षित वियतनाम और चीन से सिम बाक्स मंगवाता था।

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    हर्षित को किया गया गिरफ्तार और बरामद किए गए सिम बॉक्स व गैजेट्स। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, सुपौल। आर्थिक अपराध इकाई बिहार की साइबर विंग इकाई ने सूचना एवं तकनीकि निगरानी के आधार पर एसआईटी का गठन करते हुए रविवार को सुपौल के गोसपुर में छापेमारी की और हर्षित कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

    हर्षित के पास से आठ सिम बॉक्स डिवाइस और सैकड़ों की संख्या में प्रमाणित, उपयोग किए गए और अनुपयोगी सिम कार्ड, कई बैंकों के पासबुक, एटीएम कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि बरामद किए गए हैं।

    पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड है हर्षित

    21 वर्षीय हर्षित पूरे रैकेट का मास्टमाइंड है। वह फेसबुक एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से चीनी, वियतमान, कम्बोडिया एवं अन्य देशाें के नागरिकों के संपर्क में आया और उसके टेलीग्राम ग्रुप में शामिल हो गया। इन सरगनाओं ने उसे सिम बॉक्स चलाने के लिए पैसे का लालच दिया।

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    वियतनाम और चीन से प्राप्त किया सिम बॉक्स डिवाइस

    हर्षित ने वियतनाम से चार और चीन से चार सिम बॉक्स डिवाइस प्राप्त किए। इन सिम बॉक्स से एक सामानांतर एक्सचेंज का संचालन किया जा रहा था। जिसमें कम्बोडिया, थाइलैंड एवं अन्य देशों में अवस्थित साइबर स्कैन के अड्डों से साइबर धोखाधड़ी एवं फ्रॉड हेतु कॉल किए जा रहे थे।

    आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), बिहार की साइबर विंग एवं दूरसंचार विभाग (भारत सरकार) के सहयोग से एक बड़े साइबर अपराध सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए, सिम बॉक्स के माध्यम से देशव्यापी धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मुख्य सरगना सहित कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

    बड़े साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा

    सुपौल में हुई छापेमारी में अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर्राज्यीय संबंधों वाले एक बड़े साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा किया गया है।

    प्रारंभिक जांच के अनुसार, इन सिम बॉक्सों के माध्यम से 10,000 से अधिक फर्जी कॉल एक दिन में ही किए जा रहे थे, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था। इससे दूर संचार विभाग भारत सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा था।

    अवैध सिम कार्ड के लिए सुमित से संपर्क

    SIM बॉक्स चलाने के लिए बड़ी संख्या में अवैध सिम कार्ड की आवश्यकता होती थी। हर्षित ने इसके लिए पाकुड़, झारखंड के सुमित साह नामक अपराधी से संपर्क किया। सुमित साह मार्च महीने से हर्षित को लगभग 1000 सिम कार्ड की आपूर्ति कर चुका है। सुमित साह स्वयं सुल्तान नामक व्यक्ति से सिम कार्ड लेता था और सुल्तान ने हर्षित को लगभग 400 सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे।

    गिरफ्तार मु. सुल्तान एक कॉमन सर्विस सेंटर का संचालक है। वह कई फर्जी सरकारी योजनाओं में लाभार्थी बनाने का झांसा देकर, गांव में कैंप लगाता था एवं आम जनता का बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करता था और इस बायोमैट्रिक डेटा का टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के पंजीकृत डिस्ट्रीब्यूटर एवं रिटेलर से मिलीभगत कर आम व्यक्तियों की बायोमेट्रिक पहचान के आधार पर बड़ी संख्या में सिम कार्ड हासिल करता था।

    इस सिम का उपयोग सिम बॉक्स के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी हेतु किया जाता था। इस मामले में कुल छह आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। जिसमें हर्षित कुमार मुख्य सरगना है।