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    Bihar Farmers: आसमान में मंडराते बादल, किसानों की बढ़ी धड़कन; फसल की कटाई है जारी

    मौसम में बदलाव एक बार फिर नजर आने लगा है। गेहूं की कटनी जिले में शुरू हो चुकी है और आसमान में बादल छाए रहते हैं। ये किसानों के होश उड़ा रहे हैं। किसान जल्दबाजी में कटनी तो करना चाह रहे हैं लेकिन मजदूरों की कमी से यह संभव नहीं हो पा रहा है। दिनभर किसान कटनी करते हैं और शाम होते ही गेहूं की तैयारी में जुट जाते हैं।

    By Rajesh Kumar Singh Edited By: Shashank Shekhar Updated: Sun, 07 Apr 2024 05:11 PM (IST)
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    Bihar Farmers: आसमान में मंडराते बादल, किसानों की बढ़ी धड़कन; फसल की कटाई है जारी (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, सुपौल। मौसम में बदलाव एक बार फिर नजर आने लगा है। गेहूं की कटनी जिले में शुरू हो चुकी है और आसमान में बादल छाए रहते हैं। ये किसानों के होश उड़ा रहे हैं। किसान जल्दबाजी में कटनी तो करना चाह रहे हैं लेकिन मजदूरों की कमी से यह संभव नहीं हो पा रहा है।

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    दिनभर किसान कटनी करते हैं और शाम होते ही गेहूं की तैयारी में जुट जाते हैं। किसानों का मानना है कि जितनी फसल तैयार होकर घर चली जाएगी उनकी चिंता उतनी कम होती जाएगी।

    अगर कहीं वर्षा हो गई तो सब किया धरा पानी हो जाएगा। फिलहाल किसान पूरी रफ्तार से कटनी में जुटे हुए हैं। कई जगह खलिहानों में गेहूं के बोझे पड़े हैं तो कई जगह खेतों में फसल काटकर पड़ी हुई है।

    रबी फसल के संबंध में इधर एक कहावत प्रचलित है कि रबी फबी अर्थात रबी फसल अगर कटकर घर चली गई तो ही किसान इसे अपना मानते हैं। इसका कारण है कि इस मौसम में आंधी-वर्षा की संभावना बनी रहती है। गेहूं की कटी फसल में अगर थोड़ा भी पानी पड़ जाता है तो इसके जल्द अंकुरण की संभावना रहती है।

    दाने की चमक खत्म हो जाती- किसान

    अगर अंकुरण नहीं भी हुआ तो किसानों का कहना है कि दाने की चमक खत्म हो जाती है जिसका बाजार भाव अच्छा नहीं मिलता है। किसानों की परेशानी यह है कि खेतों में लगी लगभग फसल पक चुकी है। कटनी एक साथ शुरू हो गई है। इसलिए, गेहूं की कटाई में मजदूरों की कमी हो जाती है।

    एक साथ कटाई शुरू हाेने से मजदूर कम पड़ जाते हैं। दूसरा तैयारी के लिए थ्रेसर भी समस्या रहती है। सभी किसान चाहते हैं कि उनकी तैयारी पहले हो जाए तो इस जल्दबाजी में थ्रेसर कम पड़ने लगते हैं। गेहूं के बोझे जगह अधिक छेंकते हैं। इसलिए, बोझे का भंडारण भी मुश्किल होता है। इसे खुले में रखना पड़ता है और खुले में ही इसकी तैयारी भी की जाती है।

    इधर, शनिवार से आसमान में बादल छाने लगे हैं। रविवार को बादल कुछ अधिक ही थे। हालांकि, पछुआ चल रही थी। किसानों का कहना है कि राहत की बात है कि पछुआ चल रही है। अगर पूरवा चलने लगे तो वर्षा की संभावना अधिक हो जाएगी। पूरवा चलने से जहां वर्षा की चिंता रहेगी वहीं गेहूं की तैयारी में भी देरी होगी।

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