Chhath Puja 2025: आसमान छू रही कद्दू की कीमत, फलों के दामों में भी उछाल
छठ पूजा 2025 के अवसर पर कद्दू और फलों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे आम आदमी परेशान है। कद्दू की कीमतों में भारी वृद्धि देखी जा रही है, क्योंकि छठ पूजा के दौरान इसकी मांग बढ़ जाती है। सेब, केला, संतरा जैसे फलों के दाम भी बढ़ रहे हैं, जिससे लोगों को खरीदारी में कटौती करनी पड़ रही है।

कद्दू 80 रुपये पीस, फलों की कीमतों में उछाल। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, सुपौल। लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शनिवार से आरंभ हो रहा है। इस अवसर पर कद्दू की कीमत आसमान छू रही है, जहां एक पीस कद्दू 80 रुपये में बिक रहा है।
फलों के दामों में भी उछाल देखा जा रहा है, जिससे बाजार में फलों की बिक्री जोर-शोर से हो रही है। सेब, संतरा, नारियल, ईख, अल्हुआ और सुथनी जैसे फलों की मांग बढ़ गई है। पानीफल सिघाड़ा की भी अच्छी डिमांड है।
शुक्रवार की सुबह से ही बाजारों में खरीदारी के लिए भीड़ देखी गई, जहां महिलाएं पूजन सामग्री जुटाने में व्यस्त थीं। यह पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ है और इसमें प्रसाद के लिए खेतों में उगने वाली वनस्पतियों का विशेष महत्व होता है।
हालांकि, वर्तमान समय में कई ऐसी चीजें गुम सी हो गई हैं, जैसे अल्हुआ और सुथनी, जिनकी पहले सरेआम खेती होती थी, लेकिन अब इन्हें बाजार से खरीदना पड़ता है।
अदरख और हल्दी भी इस पर्व में पौधा सहित चढ़ाए जाते हैं, लेकिन इनकी खेती भी बहुत कम होती है, जिससे बाजार पर निर्भरता बढ़ जाती है। इस कारण से खरीदारी में समय लगना स्वाभाविक है।
एक-एक सामान को नियम-निष्ठा के साथ जुटाना कठिन होता है, इसलिए इस पर्व को सबसे कठिन माना जाता है। प्रशासन ने खतरनाक घाटों पर बैरिकेडिंग शुरू कर दी है।
जिन घाटों पर गहराई अधिक है, वहां लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। प्रशिक्षित गोताखोर और एनडीआरएफ की टीमों को भी तैनात किया जाएगा। छठ पूजा में फलों का विशेष महत्व होता है, जिससे इस मौके पर फलों की डिमांड बढ़ जाती है।
फल मंडियों में दामों में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। कुछ फल महंगे हैं, जबकि कुछ सस्ते। फल व्यवसायियों का कहना है कि फिलहाल जिन फलों का सीजन है, उनकी कीमतों पर खास असर नहीं पड़ा है, लेकिन जिन फलों को बाहर से मंगाना पड़ता है, उनकी कीमत थोड़ी अधिक है।
छठ पूजा में पवित्रता का विशेष महत्व होता है, और इसके प्रसाद को अलग चूल्हे पर बनाया जाता है। इस संदर्भ में व्रती महिलाएं चूल्हे बनाने में भी जुटी हैं।

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