टिकट की टिकटिक: छातापुर में गरमाई सियासत, महागठबंधन में घमासान
बिहार के सुपौल जिले के छातापुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। भाजपा ने नीरज कुमार सिंह बबलू को फिर से टिकट दिया है, जबकि महागठबंधन में टिकट के लिए घमासान मचा हुआ है। राजद से विपिन कुमार सिंह, बैद्यनाथ मेहता और जहूर आलम जैसे नेता मैदान में हैं। वीआईपी से संजीव मिश्रा भी दावेदार हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।

छातापुर सीट पर सियासी माहौल गर्म
संजय कुमार, छातापुर (सुपौल)। बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही छातापुर विधानसभा क्षेत्र की सियासत में सरगर्मी बढ़ गई है। टिकट को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों खेमों में हलचल तेज है। एक ओर भाजपा ने वर्तमान विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू के नाम की सूची जारी कर दी है, वहीं महागठबंधन खेमे में दावेदारी को लेकर मंथन और अंदरूनी खींचतान का दौर जारी है।
महागठबंधन की ओर से राजद में टिकट की रेस सबसे दिलचस्प बनी हुई है। क्षेत्र में डॉ. विपिन कुमार सिंह, बैद्यनाथ मेहता और जहूर आलम तीनों नेता लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। तीनों का दावा है कि संगठन और जनता के बीच उनका आधार मजबूत है।
पंचायत स्तर से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक इन नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है। ग्रामीण इलाकों में नुक्कड़ सभाएं, युवाओं के साथ संवाद और सामाजिक कार्यक्रमों के जरिये वे अपनी पकड़ दिखाने में जुटे हैं।
इधर, महागठबंधन की घटक वीआईपी पार्टी से संजीव मिश्रा भी खुद को टिकट का प्रबल दावेदार मान रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं और जनता से सीधा संवाद बना रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि संजीव मिश्रा युवा और स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार हैं, जो नए चेहरे के रूप में जनता का विश्वास जीत सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो छातापुर सीट इस बार भी सियासी रूप से बेहद दिलचस्प रहने वाली है। भाजपा के बबलू जहां अपनी संगठनात्मक मजबूती और विधायक के रूप में अनुभव पर भरोसा जता रहे हैं, वहीं महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे का समीकरण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। अगर महागठबंधन एकजुट होकर उम्मीदवार उतारता है तो मुकाबला कड़ा हो सकता है, लेकिन यदि आंतरिक मतभेद बने रहे, तो इसका सीधा लाभ भाजपा को मिल सकता है।
फिलहाल टिकट की घोषणा से पहले क्षेत्र में सभी दावेदारों ने अपना जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। हर नेता मतदाताओं के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुटा है।
आने वाले दिनों में महागठबंधन के उम्मीदवार का नाम सामने आने के साथ ही छातापुर की सियासी तस्वीर और स्पष्ट हो जाएगी, मगर इतना तय है कि इस बार की टिकट की जंग में छातापुर विधानसभा फिर से जिले की राजनीति का केंद्र बनने जा रही है।
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