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    इस कश्ती को कब मिलेगा किनारा

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 07 Oct 2020 05:32 PM (IST)

    भरत कुमार झा सुपौल कोसी नदी की बल खाती धाराएं बाढ़ के दिनों में जब हिलोरे मारती हैं

    इस कश्ती को कब मिलेगा किनारा

    भरत कुमार झा, सुपौल : कोसी नदी की बल खाती धाराएं बाढ़ के दिनों में जब हिलोरे मारती हैं तो तटबंध के बीच बसी दो लाख की आबादी थर्रा उठती है, बाहर के लोगों का दिल दहलता रहता है। इसके साथ शुरू होती है लोगों का जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों पर भागने का सिलसिला। उफनाती लहरों पर नाव ही इनका एकमात्र सहारा होता है। तटबंध के अंदर के लोगों का जीवन ही नाव के सहारे ही बीतता है। हर साल बाढ़ झेलना, नए ठिकाने तलाश करना और विस्थापित कहलाना ही इनकी भाग्य में बदा है। चुनाव दर चुनाव बीत गए, आश्वासनों के पतवार थामे हर चुनाव मांझी आते रहे लेकिन इनकी कश्ती को किनारा नहीं मिल पाता है। इस कश्ती को कब मिलेगा किनारा यह सवाल इस चुनाव में भी उठेगा लेकिन रटा-रटाया पुराना ही जवाब मिलेगा और चुनाव बाद फिर ये कोसी के रहमोकरम पर कभी अपने भाग्य को तो कभी व्यवस्था को कोसेंगे।

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    पूरी नहीं हुई पुनर्वास की प्रक्रिया

    कोसी सीमाओं को भले हर वर्ष न लांघती हो लेकिन तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी हर वर्ष कोसी के कोप से प्रभावित होती है लेकिन सरकारी महकमे की कोई खास ²ष्टि इधर नहीं बनती। सरकारी नजर में शायद ये इसके अभ्यस्त माने जाते हैं। यहां एक बड़ा सवाल है कि कोसी को जब तटबंधों के बीच रखा गया तो एक बड़ी आबादी इसके बीच पड़ गई। सरकार ने उसे पुनर्वासित करने का भरोसा दिया और पुनर्वासित किए जाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हुई लेकिन वह विभिन्न कारणों से पूरी न हो सकी। कुछ आबादी अपनी माटी के मोह में अथवा खेती किसानी के कारण बाहर नहीं निकल सकी। नतीजा हुआ कि ये उपेक्षित रहने लगी। कालक्रम में विकास की रूपरेखा तैयार हुई, लेकिन विकास की किरणें इन तक नहीं पहुंच सकी। चुकि एक बड़ी आबादी तटबंध के बीच बसती है इसलिए चुनाव में इनके भाव उंचे हो जाते हैं। हर चुनाव इन्हें सब्जबाग दिखाया जाता है, विकास के किस्से सुनाए जाते हैं और चुनाव बाद फिर वहीं बात..।

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    84 हजार मतदाता डालेंगे वोट

    कोसी तटबंध के तीन विधान सभा क्षेत्र के 84 मतदान केंद्र हैं। जिसमें सुपौल विधानसभा क्षेत्र के 35, निर्मली विधानसभा क्षेत्र के 11 और पिपरा विधानसभा क्षेत्र के 38 मतदान केंद्र हैं। यहां लगभग 84 हजार मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। ऐसा नहीं कि तटबंध के अंदर सरकारी योजनाएं नहीं चलाई जाती। विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं। भले वह जहां कहीं भी चलाए जाते हों। विभिन्न सरकारी योजनाओं का संचालन भी किया जाता है। पंचायतों को मिलने वाली अन्य सुविधाएं भी उनके नाम रिलीज होती है लेकिन उनके आवागमन में परेशानी, बाढ़ की विभीषिका, विस्थापन का दंश, रोजगार की समस्या आदि के बाबत कभी व्यवस्था गंभीर नहीं होती।