बिहार में मशरूम की खेती पर 90% सब्सिडी, रोजगार का सुनहरा अवसर
बिहार सरकार मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रही है, जिसके लिए 90% तक की सब्सिडी दी जा रही है। यह योजना राज्य के नागरिकों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने औ ...और पढ़ें

मशरूम की खेती। फोटो जागरण
संवाददाता, सुपौल। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें मशरूम उत्पादन से जोड़ा जा रहा है। कोसी प्रभावित सुपौल जिले में उद्यान विभाग ने मशरूम खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। वैसे तो मशरूम उत्पादन जिले में कई वर्षों से की जा रही है परंतु इस वर्ष इसे और विस्तार दिया गया है।
इसके तहत जिले के किसानों को 90 फीसदी अनुदान पर 26500 किट का वितरण किया जाएगा, जो पिछले वर्ष से 15 हजार किट अधिक है। जबकि झोपड़ी में मशरूम उत्पादन में इस वर्ष जिले में कटौती की गई है।
गत वर्ष जहां जिले को 15 झोपड़ी का लक्ष्य निर्धारित था। वहीं, इस वर्ष इसे घटाकर 10 कर दिया गया है। फिलहाल विभाग द्वारा मशरूम किट का वितरण शुरू कर दिया गया है। बेहतर उत्पादन के लिए विभाग ने किसानों को प्रशिक्षण भी दिया है ताकि मशरूम उत्पादन कर किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकें।
किसानों ने दिखाई है दिलचस्पी
इस वर्ष बड़ी संख्या में जिले के किसानों ने मशरूम उत्पादन को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाई है। किसानों से प्राप्त आवेदन के सत्यापन के बाद संबंधित एजेंसी को सूची विभाग द्वारा भेजने के बाद किसानों के बीच किट वितरण शुरू कर दिया है। उद्यान निदेशालय द्वारा जिस एजेंसी को यह जिम्मेदारी मिली है, वह जिले में पहुंचकर किसानों को किट उपलब्ध करा रही है।
विभाग द्वारा एक किट की कीमत 54 रुपये निर्धारित की गई है। इसमें किसानों को 10 फीसद अर्थात 5.40 रुपये प्रति किट देने होंगे। शेष 90 फीसद अनुदान की राशि विभाग द्वारा एजेंसी को दी जाएगी।
तीन किस्म के मशरूम का मिल रहा किट
मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने जो 26500 किट उपलब्ध कराने का फैसला लिया है उसमें तीन किस्म के मशरूम किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। उद्यान विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 10000 किट वेस्ट मशरूम के, 15000 बटन मशरूम के तथा 1500 किट ब्रकेट मशरूम के किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।
मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस बार करीब 26500 किट का लक्ष्य दिया गया है। लक्ष्य के अनुरूप किसानों से आवेदन लिए गए हैं। आवेदन के सत्यापन उपरांत एजेंसियों के माध्यम से किट का वितरण किसानों के बीच किया जा रहा है। -डॉ. अमृता कुमारी, जिला उद्यान पदाधिकारी

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