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    बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं माता सरस्वती : आचार्य

    संवाद सूत्र करजाईन बाजार (सुपौल) माता सरस्वती मन बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी है। विद्या

    By JagranEdited By: Updated: Fri, 04 Feb 2022 12:57 AM (IST)
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    बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं माता सरस्वती : आचार्य

    संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): माता सरस्वती मन, बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी है। विद्या की देवी सरस्वती हंस वाहिनी, स्वेतवस्त्रा, चार भुजाधारी और वीणा वादिनी है। संगीत और अन्य ललितकलाओं की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती ही हैं। शुद्धता, पवित्रता, मनोयोग पूर्वक निर्मल मन से साधना करने पर उपासना का पूर्ण फल सरस्वती माता प्रदान करती है। इनकी आराधना से साधक विद्या, बुद्धि और नाना प्रकार की कलाओं में सिद्ध होता है तथा सभी अभिलाषा पूर्ण होती है। सरस्वती पूजा का महात्म्य बताते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि भगवती सरस्वती का विशेष उत्सव माघ मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को अर्थात वसंत पंचमी को मनाया जाता है। इस विशेष पर्व पर विशेष रूप से वाणी की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान की देवी भी है। ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि, विद्या, विवेक, तर्क, चितन, मनन और प्रतिष्ठा माता सरस्वती की कृपा से सहज ही प्राप्त हो जाती है एवं विश्व का समस्त ज्ञान-विज्ञान, सारी विधाएं, सारी विद्वता मां सरस्वती की शक्तियों में ही निहित है। जब-जब आवश्यकता होती है परमेश्वर ब्रह्मा, विष्णु, शिव, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती रूप में अवतरित होती है। महाकाली रौद्ररूपा शक्ति प्रधान दुष्टों का संहार करती है। सत्य प्रधान महालक्ष्मी सृष्टि का पालन करती है तथा प्रधान ब्राह्मी शक्ति महासरस्वती जगत की उत्पत्ति व ज्ञान का कार्य करती है। पुराणोक्त कथा के अनुसार देवर्षि नारद से श्री नारायण ने कहा कि, मुनिवर! सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण ने माता सरस्वती की पूजा की। भगवान श्री कृष्ण ने माता सरस्वती से कहा कि सरस्वती प्रत्येक ब्रह्मांड में माघ शुक्ल पंचमी के दिन विद्यारंभ के शुभ अवसर पर बड़े गौरव के साथ तुम्हारी विशाल पूजा होगी। मेरे वर के प्रभाव से आज से लेकर प्रलय पर्यंत प्रत्येक कल्प में मनुष्य, मनुगण, देवता, मोक्षकामी, प्रसिद्ध मुनिगण, वसु, योगी, सिद्ध, नाग, गंधर्व और राक्षस सभी बड़ी भक्ति के साथ सोलह प्रकार के उपचारों के द्वारा तुम्हारी पूजा करेंगे। घड़े एवं पुस्तक में तुम्हें आवाहित करेंगे। इस प्रकार कह कर स्वयं भगवान कृष्ण ने भी उन सर्वपूजिता देवी सरस्वती की पूजा की। तत्पश्चात ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अनंत, धर्म मुनीश्वर, सनकगण, देवता, मुनि, राजा और मनुगण ये सभी भगवती सरस्वती की उपासना करने लगे। तब से ये सरस्वती संपूर्ण प्राणियों से सदा सुपूजित होने लगी। ''श्री ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा'' यह वैदिक अष्टाक्षर मूल मंत्र परम श्रेष्ठ एवं सर्वोपयोगी है। प्राचीन काल में भगवान नारायण ने वाल्मीकि मुनि को इसी का उपदेश दिया था। वसंत पंचमी आनंद और उल्लास का पर्व तो है ही संपन्नता एवं समृद्धि का भी पर्व है। अत: इसे पूरी श्रद्धा से मनाना चाहिए।

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    पूजन का शुभ मुहूर्त

    इस बार सरस्वती पूजा माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि शनिवार यानी 5 फरवरी को होगा। पूजन का शुभ मुहूर्त संकल्प और कलश स्थापन का समय प्रात:काल 7:56 के बाद से लेकर दोपहर 1:22 बजे तक है।