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    बिहार के सुपौल में रसोइया के 259 पद रिक्त, बच्चों को कैसे मिले मिड डे मील?

    बिहार के सुपौल जिले के विभिन्न विद्यालयों में 259 रसोइयों के पद महीनों से खाली पड़े हुए हैं। इस बात से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को मिड डे मील कैसे ही मिल रहा होगा? प्रखंडवार रिक्त पदों की रिपोर्ट सामने आई है।

    By Sunil KumarEdited By: Shivam BajpaiUpdated: Mon, 07 Nov 2022 06:32 PM (IST)
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    सुपौल के सभी प्रखंडों में रिक्त पड़े हैं रसोइयों के पद।

    जागरण संवाददाता, सुपौल: प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और उन्हें कुपोषण से दूर रखने के लिए सरकार ने मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) योजना चला रखी है। इसके तहत विद्यालय पहुंचने वाले बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है। इस भोजन को पकाने के लिए विद्यालयों में नामांकित बच्चों के अनुपात में रसोइया की बहाली की हुई है। परंतु विडंबना देखिए कि जिले में रसोइया का 259 पद महीनों से रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसे में इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब विद्यालय में पर्याप्त संख्या में रसोइया ही नहीं है तो फिर बच्चों को किस स्तर का भोजन मिलता होगा।

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    वैसे भी यह योजना शुरुआती काल से ही लूट खसोट के रूप में अपनी पहचान कायम कर रखा है। योजना से जुड़े अधिकारी व कर्मियों के लिए यह कमाई का एक जरिया सा बन चुका है । उपस्थिति से अधिक पंजी में बच्चों की उपस्थिति दर्ज करना, मीनू को दरकिनार कर मनमाफिक ढंग से बच्चों को भोजन उपलब्ध कराना योजना की एक परिपाटी सी बनी हुई है। अब जब योजना की पड़ताल गहराई से की गई है तो रसोइयों की कमी सामने आई है । कुछ दिन पहले तक सभी 11 प्रखंडों में 497 रसोइया के पद खाली पाए गए थे। इनमें से अब तक 238 पद को ही भरा जा सका है। फिलहाल जिले में अभी भी 259 रसोइया के पद खाली पड़े हैं। इनमें से पिपरा, किसनपुर, सुपौल तथा त्रिवेणीगंज प्रखंड की स्थिति काफी दयनीय है। इन प्रखंडों में जितने पद रिक्त पड़े हैं उनमें से 50 फीसद पद को ही अब तक भरा जा सका है।

    दायित्व से भरा होता है रसोइया का पद

    मध्याह्न भोजन योजना में रसोइया का पद दायित्व से भरा होता है। इनके जिम्मे में ही खाना पकाने से लेकर समय से बच्चों को खाना खिलाना होता है। इन कार्यों में उन्हें खासतौर पर सावधानी बरतनी पड़ती है। खासकर खाना पकाते समय उन्हें स्वच्छता का पूरा पूरा ख्याल रखना पड़ता है। इसमें थोड़ी सी चूक किसी खतरे को आमंत्रण देने जैसा होता है। इसके अलावा बच्चों को खिलाने और फिर बर्तन से लेकर रसोई घर को साफ सफाई करने समेत कई अन्य कार्य इनके कर्तव्यों में शामिल होते हैं। बावजूद जिले में सैकड़ों रसोइयों का पद महीनों से खाली रहना कहीं न कहीं योजना की सफलता में बाधक बन रहा है।

    डीईओ ने दी सख्त हिदायत 

    रसोइया के चयन को लेकर विभाग की नींद अब खुली है। इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सख्त हिदायत देते हुए खाली पड़े पदों के विरुद्ध चयन हर हाल में करने को निर्देशित किया है। खासकर पिपरा, किशनपुर, सुपौल और त्रिवेणीगंज की स्थिति पर अधिकारी द्वारा खेद प्रकट किया गया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने निर्देशित करते हुए कहा है कि एमडीएम संचालित विद्यालयों में शत प्रतिशत रसोइया बहाली को लेकर पूर्व में भी सूचित किया गय था। बावजूद इतनी संख्या में रसोईये की बहाली नहीं होना कहीं न कहीं प्रधानों की कर्तव्यहीनता को दर्शाने जैसा है। रिक्ति के अनुरूप रसोइया बहाली को लेकर पिछले दिनों जिलाधिकारी ने भी विभाग को निर्देश दिए थे।