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    विघ्नों के विनाश के लिए होता है यज्ञ मंडप का निर्माण : आचार्य

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    Updated: Thu, 21 Apr 2016 04:25 PM (IST)

    सुपौल। राघोपुर प्रखंड अंतर्गत गोसपुर गाव में तीन दिवसीय बजरंगवली प्रतिमा स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा य ...और पढ़ें

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    सुपौल। राघोपुर प्रखंड अंतर्गत गोसपुर गाव में तीन दिवसीय बजरंगवली प्रतिमा स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ भक्तिमय माहौल में पूर्ण वैदिक रीति-रिवाज से जारी है। यज्ञ के दूसरे दिन पंडित शचीन्द्रनाथ मिश्र के मार्गदर्शन में यज्ञाचार्य पंडित

    धमेन्द्रनाथ मिश्र व अन्य पंडितगण के सानिध्य में यज्ञमंडप में आवाहित देवी-देवता तथा प्रधानपीठ पूजा, नवग्रहादि पूजन, क्षेत्रपाल, योगिनी, वस्तुमंडल के साथ-साथ मंडप पूजन एवं अधिवासदि कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस मौके पर आचार्य श्री मिश्र ने

    उपस्थित श्रद्धालुओं को यज्ञ मंडप का महात्म्य बताते हुए कहा कि यज्ञ मंडप में जितने भी स्तंभ-खूंटा, ध्वजा तथा तोरणद्वार होते हैं सबका अपना आध्यात्मिक महत्व है। आचार्य ने कहा कि समस्त विघ्नों के विनाश एवं सभी प्राणियों के चित्त शुद्धि के लिए ही मंडपों का निर्माण होता है। यज्ञ मंडप में लगाए गए 16 स्तंभों के नाम शुभद, विजय, करुण, श्रीमान, मंगल, गुरु, जय, धनद, कल्याणी, शुभ, शात, मनोहर,ऋद्धि-सिद्धि, विचित्र और दिव्य रूप हैं। इनके देवता ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, इंद्र, सूर्य, गणेश, यम, सर्प, सेनानी, वायु, चंद्रमा, प्रचेता, अष्टवसु, कुबेर, वृहस्पति तथा विश्वकर्मा आदि हैं। इसके अलावा आचार्य ने यज्ञ मंडप में अवस्थित ध्वजा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राक्षस ध्वजा से विहीन देवालय को सुरालय समझते हैं। इसलिए ध्वजा विहीन देवालय एवं मंडप निष्फल होता है। उन्होंने कहा कि ध्वजाविहीन यज्ञ मंडप एवं मंदिर का कोई महत्व नहीं है। ये सर्वथा नष्ट हो जाते हैं। यज्ञ मंडप में अग्नि की

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    भाति चमकने वाले तथा देवताओं के समान ध्वजा को देखकर राक्षसगण वैसे ही नाश हो जाते हैं जैसे सूर्य की किरण निकलते ही अंधकार का नाश हो जाता है। यज्ञ को देखने के लिए दूर-दूर से भक्तों का जमघट लगना शुरू हो गया है। इस यज्ञ को सफल बनाने के लिए तेजेंद्र झा, ललन झा, मोहन झा, बौआ साहेब, विनोद झा, शरद झा, रविकात झा, खेला झा, महानंद झा, अमोल झा, गाधी, नंदू,

    सुशील झा सहित स्थानीय ग्रामीण पूरी निष्ठा से जुटे हुए हैं।