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    आंगनबाड़ी केंद्रों का खस्ताहाल, स्कूल पूर्व शिक्षा से वंचित रह जाते बच्चे

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 09 Jun 2019 06:33 AM (IST)

    भले ही सरकारी व्यवस्था के तहत कई अभियान चलाया जाता हो लेकिन पिपरा की सड़कों पर सबकुछ अपने पुराने अंदाज में ही आज भी दिखता है। यत्र-तत्र टेम्पू वाले का सड़क पर गाड़ी खड़ी करना बिना हेलमेट के दो पहिया वाहन चालक द्वारा बाइक चलाना चार चक्का वाले चालकों का बिना सीट बेल्ट लगाये वाहन चलाना आम बात है। हृदय स्थली महावीर चौक महात्मा गांधी चौक से लेकर बिनोवा मैदान के समीप टेम्पू वालों ने कब्जा जमा लिया है। बीच सड़क पर ही गाड़ी खड़ी कर सवारी ली जाती है।

    आंगनबाड़ी केंद्रों का खस्ताहाल, स्कूल पूर्व शिक्षा से वंचित रह जाते बच्चे

    -सेविका के बदले पढ़ाते हैं स्कूली लड़के, बच्चों को नहीं दिया जाता नाश्ता और भोजन

    फोटो फाइल नंबर-8एसयूपी-4

    संवाद सूत्र, सरायगढ़(सुपौल): गांव के कमजोर बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा के साथ-साथ पका पकाया भोजन देकर उसे कुपोषण से बचाने तथा गर्भवती और धात्री महिलाओं को भी कुपोषण से दूर रखने के लिए संचालित आंगनबाड़ी केंद्र सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड का लालगंज खस्ताहाल बना हुआ है। सरकार ने अधिक से अधिक बच्चों तथा गर्भवती और धात्री महिलाओं को इसके लाभ से जोड़ने के लिए प्रत्येक वार्ड स्तर पर केंद्र की स्थापना कर दी है। इन केंद्रों पर प्रतिमाह सरकार भारी-भरकम राशि खर्च करती है। लेकिन लालगंज के अधिकांश केंद्रों पर भारत सरकार के बाल विकास परियोजना मंत्रालय का यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम पटरी से नीचे लुढ़क गया है। केंद्रों के खस्ताहाल को लेकर गांव के लोग बार-बार आवाज मुखर करते रहते हैं। लोगों के इस आवाज की गूंज बाल विकास परियोजना कार्यालय तक पहुंचने के बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं होती है तब लोग निराश होकर बैठ जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में बरती जा रही लापरवाही को लेकर उठ रहे सवाल और लोगों में बनी निराशा को देखते हुए जागरण संवाददाता ने कुछ केंद्रों का ऑन द स्पॉट मुआयना किया। केंद्र संख्या 79 कोसी कॉलोनी लालगंज में एक स्कूली बच्चे कुछ बच्चों को पढ़ा रहे थे। पूछने पर बोले कि सेविका मैडम ने कहा है कि जब तक वह केंद्र पर नहीं आ जाती तब तक बच्चे को पढ़ाते रहें। उस लड़के के बगल में एक नेहा कुमारी नाम की छात्रा मिली जिन्होंने कहा कि वह सहायिका की पुत्री है और मां घर का काम देख रही है इसलिए वह केंद्र चला रही है। केंद्र पर बच्चों को न नाश्ता दिया गया था और ना ही पका पकाया भोजन। बगल के अभिभावकों का कहना था कि केंद्र पर प्रतिदिन आया राम-गया राम की कहानी बनी रहती है। केंद्र संख्या 80 पर आधे दर्जन बच्चे बैठकर आपस में खेल रहे थे। पूछने पर बच्चों ने बताया कि सेविका मैडम आंगन में है और सहायिका मैडम अपने काम में लगी है। बच्चों ने दबी जुबान से बताया कि उन लोगों को कभी नाश्ता नहीं दिया जाता। पोषक क्षेत्र के कुछ लोगों का कहना था कि सेविका केंद्र को अपने घर पर ले कर चली गई है जिस कारण चाह कर भी वार्ड क्षेत्र के लोग कुछ नहीं बोल पाते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 136 मेहता टोला बगेवा पर एक दर्जन बच्चे बैठे मिले। वहां सेविका मौजूद थी। पंजी में जो बच्चों की उपस्थिति दर्ज की गई थी वह चौंकाने वाली थी। हर दिन की उपस्थिति में बच्चों की संख्या 30 से अधिक दिखाई गई थी। नवचयनित सेविका प्रियंका कुमारी ने कहा कि विभागीय स्तर से ही ऐसा करने को कहा गया है। केंद्र संख्या 134 पर अनुप्रिया कुमारी कुछ बच्चों के साथ मौजूद थे। पूछने पर बोली कि अभी नए केंद्रों पर पोषाहार का आवंटन नहीं होता है। इस कारण बच्चों की उपस्थिति कम रहती है।

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    बोली पर्यवेक्षिका

    लालगंज में आंगनबाड़ी केंद्रों के लचर स्थिति पर पर्यवेक्षिका मंजू कुमारी से पक्ष जानना चाहा। पर्यवेक्षिका ने कहा कि सरकारी कार्यक्रम है इसलिए इस तरह से तो होगा ही। उनसे जब यह पूछा गया कि जब केंद्रों पर सेविका उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में गंभीर नहीं है तो इसकी लिखित जानकारी सीडीपीओ तथा डीपीओ को क्यों नहीं दी जाती। पर्यवेक्षिका बोली लिखित देने से भी क्या फर्क पड़ता है। मतलब साफ की बाल विकास परियोजना द्वारा प्रखंड क्षेत्र में चलाए जा रहे आंगनबाड़ी केंद्र अपने सिस्टम से गतिमान है।