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    सरोकार जल संरक्षण : जल ही जीवन, जल ही है जलसा भी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 04 Jan 2018 07:06 PM (IST)

    कवि सुशील कुमार शर्मा की कुछ पंक्तियां हैं- जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाओगे।

    सरोकार जल संरक्षण : जल ही जीवन, जल ही है जलसा भी

    सिवान। कवि सुशील कुमार शर्मा की कुछ पंक्तियां हैं- जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाओगे, अगर न बचीं जल की बूंदें, कैसे प्यास बुझाओगे।

    नाती-पोते खड़े रहेंगे जल एवं राशन की कतारों में, पानी पर से बिछेंगी लाशें, लाखों और हजारों में। रिश्ते-नाते पीछे होंगे, जल की होगी मारामारी, रुपये में भी जल न मिलेगा, जल की होगी पहरेदारी.। शायद यह बात जिले के लोगों एवं प्रशासन को समझ में आ गई है। इसी का परिणाम है कि इस वर्ष जल संरक्षण के पारंपरिक स्त्रोतों तालाबों एवं कुओं को बचाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसमें अहम होगा जागरूकता अभियान। फिल्मों में पानी के संरक्षण पर गाए गए गीतों एवं परंपरागत पर्व त्यौहारों पर तालाबों तथा कुओं से जुड़े सरोकार की बातें बताई जाएंगी। इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। माना जा रहा है कि मार्च के बाद यह योजना धरातल पर उतारी जाएगी। तालाब सिर्फ जलसंग्रहण का काम नहीं करते। ये हमारी जीवन संस्कृति से जुड़े हैं। शादी-विवाह के कई संस्कार तालाबों के किनारे ही संपन्न कराए जाते हैं। इनमें एक अहम कंगन छुड़ाई है। मरने के बाद भी तालाबों में ही जल का तर्पण किया जाता है। जहां तालाब नहीं हैं, वहां कुओं से काम चलाया जाता है। पहले के राजा-महाराजा तालाब खोदवाने पर ज्यादा जोर देते थे। बदलती जीवनशैली में हम तालाबों से दूर होते जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि तालाब भी अब अपने स्वरूप को खोते जा रहे हैं। प्रशासन लोगों को इसी बात को लेकर जागरूक करेगा कि तालाबों से जुड़ें। सिर्फ छठ या अन्य पर्व पर ही इसकी सफाई न करें। बल्कि पूरे वर्ष इनकी रक्षा करें। तालाब बचे रहेंगे, तभी धरती के अंदर पानी होगा।

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    सिवान जिले में कुल मिलाकर एक हजार से ज्यादा छोटे-बड़े तालाब हैं लेकिन अधिकतर की स्थिति ठीक नहीं है। किसी में जलकुंभी का साम्राज्य है तो किसी को पाट कर अतिक्रमण किया जा रहा है।

    जीरादेई प्रखंड में कहने को तो 125 तालाब हैं लेकिन एकाध की ही स्थिति ठीक है। तारीफ करनी होगी भरथुई के संजय ¨सह की, जिन्होंने अपनी 25 बीघा जमीन में तालाब खोदवाया है। इसके माध्यम से जल संरक्षण तो हो ही रहा है, मत्स्य पालन कर अच्छी कमाई भी कर रहे हैं। गुठनी प्रखंड में 45, दारौंदा में 75, महाराजगंज में 83, दरौली में 75, नौतन में 15 तालाब हैं। कहने का मतलब यह है कि हमारे पूर्वज जल संग्रहण के इस पारंपरिक स्त्रोत के बारे में अच्छी तरह से जानते थे। इसीलिए तालाबों का निर्माण करवाया। आज हम जानते हुए भी इनकी ओर से आंख बंद किए हुए हैं। इसी कारण प्रशासन ने इनके संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान चलाने की व्यापक योजना बनाई है।

    सिसवन के मेहंदार मंदिर के पास 550 बीघा तथा बड़हरिया में युमनागढ़ की चारो ओर से तालाब से ही घेराबंदी की गई है। मौजूदा समय में इन दोनों ऐतिहासिक तालाबों की भी स्थिति ठीक नहीं है। दोनों इलाकों के विधायक क्रमश: कविता ¨सह एवं श्यामबहादुर ¨सह इनके प्रति काफी संजीदा हैं। इनके सुंदरीकरण के लिए सरकार को पत्र लिखा है, ताकि पर्यटक भी इनकी ओर आकृष्ट हो सकें।

    प्रधानमंत्री ¨सचाई योजना में है तालाबों व कुओं के संरक्षण की बात

    जिले के 11 प्रखंडों में लागू प्रधानमंत्री ¨सचाई योजना में तालाबों व कुओं को अहम स्थान दिया गया है। इन इलाकों में भूगर्भ के जल का सर्वे भी कराया गया है। इसी आधार पर इन प्रखंडों का चयन हुआ है। इसके तहत तालाबों एवं कुओं का व्यापक पैमाने पर निर्माण कराने की योजना है। पुराने तालाबों को गहरा करने की योजना है। साथ ही ¨सचाई में कम पानी का उपयोग हो, इसके लिए आधुनिक ¨सचाई प्रणाली अपने पर जोर है।

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    कहते हैं सांसद एवं विधायक

    सिवान के सांसद ओमप्रकाश यादव, सिवान सदर के व्यासदेव प्रसाद, दारौंदा विधानसभा क्षेत्र की विधायक कविता ¨सह, जीरादेई के रमेश ¨सह कुशवाहा, महाराजगंज के हेमनारायण साह ने कहा कि वे इस वर्ष अपनी निधि की ज्यादा से ज्यादा राशि का आवंटन सरकारी तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए करेंगे।

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    कहते हैं डीडीसी

    उप विकास आयुक्त विधुभूषण ने कहा कि जल संरक्षण के लिए पारंपरिक स्त्रोतों के प्रति लोगों में सम्मान का भाव जगाने के लिए इस वर्ष विशेष प्रयास किए जाएंगे। लघु फिल्मों, नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोगों को परंपराओं के बारे में बताया जाएगा। वैसे इस इलाके के भूगर्भ जल में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन आनेवाले समय में परेशानी हो सकती है। लिहाजा पहले से उपाय जरूरी है। तालाब वर्षा जल का संचयन करने के लिए सबसे उपयुक्त माध्यम हैं। इनको बचाने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। इस योजना को इसी वर्ष से लागू किया जाना है।

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