जान जोखिम में डालकर लोहे की कड़ाही में बैठकर नदी पार करते हैं ग्रामीण, पुल न होने से जीवन प्रभावित
सिवान जिले के आंदर प्रखंड के सुल्तानपुर गांव में पुल न होने के कारण ग्रामीण लोहे की कड़ाही में नदी पार करने को मजबूर हैं। कई परिवार 25-30 मीटर चौड़ी नदी को कड़ाही में बैठकर पार करते हैं, जिससे उनका जीवन प्रभावित होता है। साल के आठ महीने पानी रहने से दूसरे गांव से संपर्क टूट जाता है और हर परिवार को कड़ाही खरीदनी पड़ती है।

लोहे की कड़ाही में बैठकर नदी पार करते ग्रामीण
संवाद सूत्र, आंदर(सिवान)। आंदर प्रखंड के सुल्तानपुर गांव के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर लोहे की कड़ाही का उपयोग कर नदी पार करने को मजबूर हैं। इस गांव के 10 से 12 परिवार के लोग पुल न होने से 25 से 30 मीटर चौड़ी इस नदी को बड़ी लोहे की कड़ाही में बैठकर पार करते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जब से हमने होश संभाला है तब से ही हमें आंदर दाहा नदी को लोहे की कड़ाही के माध्यम से ही पार करना पड़ता है। इस समस्या से गांव के ग्रामीणों का जीवन प्रभावित है।
दूसरे गांव का संपर्क टूट जाता है
साल के 12 में से 8 महीने इस नदी में पानी रहता है।इससे एक गांव से दूसरे गांव जाने में काफी असुविधा होती है और कई बार तो नदी का बहाव तेज होने के कारण कई दिनों तक एक गांव से दूसरे गांव का संपर्क भी टूट जाता है।
ग्रामीणों ने बताया की हमलोगों का घर आंदर प्रखंड में पड़ता है।और नदी उस पार जमीन है वह हुसैनगंज प्रखंड के फरीदपुर गांव में पड़ता हैं।गांव के लोग अपने हाथों से लाठी के सहारे खुद लोहे की कढ़ाही में बैठकर पार होकर अपना कार्य कर घर लौट आते हैं।
आठ महीने नदी में पानी
ग्रामीणों का कहना है कि साल भर में लगभग आठ महीने नदी में पानी रहता है जिसे पार करने के लिए दस से 15 हजार रुपये की एक नई कड़ाही खरीदनी पड़ती है। क्योंकि एक कड़ाही पांच से छह साल ही चल पाती है।
जो कि पूरे समय पानी में रहने के कारण जंग खाकर खराब हो जाती है। नदी के रास्ते में पड़ने वाले हर खेत के लोगों को अपने लिए अलग ही एक कड़ाही खरीदनी ही पड़ती है।

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