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    सिवान में खाद संकट: डीएपी-यूरिया की कमी से किसान बेहाल

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 04:09 PM (IST)

    सिवान जिले के गुठनी प्रखंड में बिस्कोमान केंद्र पर डीएपी और यूरिया खाद की कमी से किसान परेशान हैं। गेहूं की बुवाई का समय है, लेकिन खाद उपलब्ध नहीं होने से किसानों को दिक्कत हो रही है। किसान खाद के लिए कई दिनों से चक्कर काट रहे हैं और अधिकारियों से खाद उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं ताकि फसल प्रभावित न हो।

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    यूरिया की किल्लत

    संवाद सूत्र, गुठनी (सिवान)। गेहूं की बुवाई के चरम सीजन में गुठनी प्रखंड के किसानों के सामने खाद व बीज की भारी कमी चुनौती बनकर सामने आ गई है। प्रखंड मुख्यालय स्थित बिस्कोमान गोदाम में नवंबर माह के पूरे समय एक भी बोरी डीएपी और यूरिया का वितरण नहीं हो सका है। गोदाम प्रभारी के अनुसार इन प्रमुख खादों का आवंटन ही अभी तक प्रखंड को नहीं मिला है, जिसके चलते किसानों को मजबूरन प्राइवेट दुकानों से महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।

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    आम तौर पर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई 14 नवंबर से शुरू होती है, लेकिन इस साल मेंथा चक्रवात के कारण मौसम अनुकूल रहने से किसानों ने 1 नवंबर से ही बुवाई शुरू कर दी है।

    इस बीच खाद संकट गहराने से किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। बिस्कोमान में डीएपी के विकल्प के रूप में उपलब्ध 20-20-03 मिक्सर खाद भी अब लगभग समाप्त हो चुका है।

    गोदाम प्रबंधक विवेक कुमार ने बताया कि जब तक डीएपी और यूरिया का आवंटन नहीं मिलता, तब तक केवल नैनो डीएपी, नैनो यूरिया, जैविक खाद, सल्फर व पोटाश ही उपलब्ध कराया जा सकता है।

    हालांकि किसानों को नैनो तकनीक का पर्याप्त ज्ञान नहीं होने से वे इसे लेकर भी सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।


    बीज की कमी भी किसानों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार गुठनी प्रखंड में कुल 850 क्विंटल गेहूं बीज की मांग की गई थी, लेकिन विभाग द्वारा मात्र 400 क्विंटल ही उपलब्ध कराया गया, जिसका वितरण किया जा चुका है।

    इसके अलावा सरसों, मसूर, हरा व सफेद मटर के बीजों का वितरण आंशिक रूप से हो पाया है। सीएम किट की 210 पैकेट भी प्रखंड को मिली हैं, जिनका वितरण जल्द किया जाएगा।


    खाद की संभावित कालाबाजारी को लेकर पूछे जाने पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुशील चौधरी ने कहा कि यदि किसी किसान को संदेह हो तो वह संबंधित दुकानदार के नाम से लिखित आवेदन दे, तभी कार्रवाई संभव है।

    हालांकि क्षेत्र में चर्चा है कि खाद की कालाबाजारी में विभागीय पदाधिकारी भी शामिल रहते हैं, जिससे किसानों की समस्याएं और बढ़ जाती हैं।


    किसान संगठन और ग्रामीणों का कहना है कि समय पर खाद और बीज उपलब्ध नहीं होने से बुवाई प्रभावित हो रही है और लागत भी बढ़ रही है।

    किसानों ने प्रशासन से तत्काल डीएपी और यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि समय पर बुवाई पूरी हो सके और फसल प्रभावित न हो।