Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिवान में प्लास्टिक कचरे से बन रहे पेवर ब्लाक, बनेंगी सड़कें और स्कूल बेंच भी

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 03:06 PM (IST)

    सिवान के खलवां में प्लास्टिक कचरे से गांव की तस्वीर बदल रही है। रीसाइक्लिंग कर पेवर ब्लॉक बन रहे हैं और सड़कों के निर्माण की तैयारी है। पंचायत में कचर ...और पढ़ें

    Hero Image

    रीसाइक्लिंग किया जा रहा प्लास्टिक। (जागरण)

    संवाद सूत्र, मैरवा (सिवान)। प्लास्टिक के कचरे पर्यावरण सुरक्षा को लेकर चुनौती बने हुए हुए हैं। इसके सेवन से कहीं जानवरों को खतरा तो कहीं मृदा प्रदूषण को लेकर चिंता हैं, लेकिन सिवान के नौतन प्रखंड के खलवां में प्लास्टिक के कचरे से गांव की तस्वीर बदलने लगी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रीसाइक्लिंग कर इसका इस्तेमाल पेवर ब्लाक तैयार करने में हो रहा है। नए साल में प्लास्टिक कचरे के बुरादे से सड़कें भी बनाने की तैयारी है। शीट तैयार कर स्कूल बेंच भी बनेंगे।

    पूरे खलवां पंचायत में अब कोई भी प्लास्टिक कचरा सड़कों पर नहीं फेंकता है, बल्कि उसे बेचकर कमाई करता है। यहां कचरे की ऑनलाइन खरीद- बिक्री की व्यवस्था है। पंचायत में कचरा प्रबंधन ने सिर्फ दो वर्ष में लोगों में जागरुकता के साथ बदलाव की यह तस्वीर पेश की है।

    डिजिटल नवाचार ने खोला उन्नति का रास्ता

    लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत घर से निकलने वाले कचरे की खरीदारी मोबाइल ऐप के जरिए होती है। ग्रामीण स्वच्छता डिजिटल नवाचार ने लोगों में जागरुकता के साथ गांव और पंचायत की उन्नति का रास्ता खोला है।

    यहां कबाड़ी मोबाइल ऐप के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर ग्रामीण घरों से असराज एस्केप साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एजेंसी अपना कर्मी भेज कर निर्धारित दर पर कचरा खरीदती है।

    लोहिया बिहार स्वच्छता के तहत भी डोर टू डोर उठाए गए कचरा और ग्रामीणों से खरीदे गए प्लास्टिक, लोहा, कापर अल्युमिनियम यहां तक कि मेडिकल वेस्ट और शादी विवाह में भोजन के बाद फेंके गए प्लास्टिक के अपशिष्ट पदार्थ को संग्रह कर रीसाइक्लिंग किया जाता है। उसे बाजार में बेचा जाता है।

    कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जाते हैं रिसाइक्लिंग कचरे 

    नौतन प्रखंड के खलवां पंचायत में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट 15 लाख की लागत से लगाए गए हैं। प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग होती है। इसमें कई लोगों को रोजगार मिला हुआ है। प्लास्टिक कचरे को मशीन से सफाई, कटिंग और कंप्रेसिंग की जाती है।

    प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट से रीसाइक्लिंग के बाद कर्नाटक में सड़क बनाने, गोरखपुर में छड़ बनाने वाली कंपनी को सप्लाई होती है। स्थानीय स्तर पर पेवर ब्लाक बनाने वाली कंपनी भी इसका उपयोग कर रही है।

    रीसाइक्लिंग के बाद वैज्ञानिक तरीके से प्रसंस्करण कर सिंगल यूज प्लास्टिक और नूडल्स रैपर जैसे अपशिष्ट से लैपटॉप बैग, बोतल, कैरी, बैग लेडीज पर्स, डायरी उपयोगी और टिकाऊ उत्पाद तैयार होता है।

    प्लास्टिक कचरे से दो वर्ष में 17 लाख आमदनी 

    खलवां गांव में रीसाइक्लिंग का काम फरवरी 2024 में पंचायत स्तर पर शुरू किया गया। खलवां पंचायत के मुखिया अमित सिंह पिंटू ने बताया कि रीसाइक्लिंग के बाद उपलब्ध पदार्थ को हरिद्वार भेज कर प्लास्टिक शीट तैयार कराया जाता है।

    महज दो वर्षों से कम समय में ही इससे 17 लाख रुपये एजेंसी/सरकार को आय हुई है। उन्होंने कहा कि खलवा पंचायत में भी जनवरी 2026 तक प्लास्टिक शीट उद्योग लग जाएगा। शीट तैयार कर उससे स्कूल में बेंच समेत कई उपयोग किए जाएंगे। प्लास्टिक बुरादे, कंक्रीट, सीमेंट से सड़कें बनेंगी।