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    Board Exam 2025: 5वीं से 8वीं तक के छात्रों के लिए बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा, नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म

    Updated: Mon, 13 Jan 2025 04:21 PM (IST)

    5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए अब बोर्ड पैटर्न पर परीक्षा होगी। शिक्षा विभाग इसकी तैयारी में जुटा है। नो डिटेंशन पॉलिसी हटने से अब खराब प्रदर्शन करने वाले छात्रों को उसी कक्षा में रोका जा सकेगा। वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा का मौका मिलेगा। फेल होने वाले छात्रों की स्कूल निगरानी करेगा और अभिभावकों को भी बच्चों पर ध्यान देना होगा।

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    बोर्ड की तर्ज पर होगी 5वीं से 8वीं तक के बच्चों की परीक्षा, नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, सिवान। कक्षा पांचवीं और आठवीं में अध्ययनरत बच्चों की परीक्षा बोर्ड की तर्ज पर होगी। इसकी तैयारी में जिला शिक्षा विभाग जुट गया है। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में अधिसूचना जारी करते हुए बताया है कि नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy) को हटा दिया गया है।

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    जाहिर है कि अब बच्चे का प्रदर्शन खराब रहा तो उसे उसी कक्षा में रोका जा सकता है। बता दें कि पहले के नियम के अनुसार, शिक्षा विभाग पर यह निर्भर करता था कि वह बच्चों को पास करेगा या फेल।

    अब इस नियम का पालन केंद्रीयकृत तरीके से होगा। स्कूलों में इसकी तैयारी हो रही है। सभी स्कूलों में शिक्षक नीतिगत तरीके से पढ़ाएंगे। हर राज्य का शैक्षिक रिपोर्ट कार्ड सही हो इसके लिए यह निर्णय लिया गया है।

    वार्षिक परीक्षा में फेल हुए तो दो माह के अंदर देनी होगी दोबारा परीक्षा:

    पांचवीं या आठवीं की वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले बच्चों को परीक्षा के परिणाम की घोषणा होने के तारीख से दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। इसमें बच्चों की सक्षमता आधारित परीक्षा ली जाएगी। इसमें भी बच्चे यदि फेल होंगे तो उन्हें संबंधित कक्षा में रोका जाएगा।

    जो बच्चे फेल होंगे, स्कूल उन बच्चों की सूची बनाएगा। ऐसे बच्चों की प्रगति की निगरानी स्कूल की ओर से की जाएगी। फेल होने के बाद भी स्कूल की ओर से बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।

    निगरानी के साथ अभिभावकों को भी रखना होगा बच्चों का ध्यान:

    जिला शिक्षा पदाधिकारी राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आठवीं तक जो बच्चे पढ़ाई में गंभीर नहीं होते थे, उन्हें गंभीर होना पड़ेगा। अभिभावकों को भी अपने बच्चे पर ध्यान देना होगा। अब कमजोर बच्चों की स्कूल में व्यक्तिगत रूप से निगरानी की जाएगी। चूंकि अगर बच्चे फेल करते हैं और दोबारा भी फेल करते हैं तो ऐसे में शिक्षण पर सवाल उठेगा इसलिए शिक्षक पहले से ही बच्चों पर ध्यान देंगे। इसके साथ ही शिक्षक भी ऐसे बच्चों के अभिभावक का मार्गदर्शन करेंगे। हमेशा अभिभावकों के संपर्क में रहेंगे। उन्हें नियमित बच्चों की पढ़ाई किस तरह कराई जानी है, इसके लिए मार्गदर्शन करेंगे।

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