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    Lumpy Virus: लंपी वायरस से संक्रमित कई मवेशियों की मौत, पशुपालकों की बढ़ी चिंता

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 09:27 PM (IST)

    सिवान जिले के मैरवा प्रखंड में लंपी वायरस का प्रकोप जारी है जिससे कई गांवों में दर्जनों मवेशियों की मौत हो गई है। विशेष रूप से गाय और बछड़े इस संक्रमण से प्रभावित हैं। पशुपालकों को पशु चिकित्सा सेवाओं की कमी की शिकायत है और समय पर टीकाकरण और उपचार के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। लंपी वायरस के लक्षणों में तेज बुखार और शरीर पर गांठ शामिल हैं।

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    सिवान में लंपी वायरस का कहर, कई मवेशियों की मौत। प्रतीकात्मक तस्वीर

    संवाद सूत्र, मैरवा (सिवान)। प्रखंड के कई गांवों में लंपी वायरस की चपेट में आकर दर्जनों मवेशियों की मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में स्पैरो से संक्रमित होकर स्तनधारी पशु बीमार हैं। इससे सबसे अधिक अधिक गाय और उसके बच्चे संक्रमण का शिकार हुए हैं।

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    इसको लेकर क्षेत्र के पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कबीरपुर निवासी जगदीश सिंह की गाय की 16 माह की बछिया की मौत शुक्रवार को लंपी बीमारी से हो गई। इसी गांव के छठू गोंड़ की गाय लंपी वायरस से संक्रमित होकर मौत के मुंह में समा गई।

    संजय सिंह ने बताया कि वे लंपी वायरस से संक्रमित बछिया का इलाज करा रहे हैं। मैरवा टोला सकरा के रामरत्न की बछिया की लंपी से मौत हो गई। मुखनारायण पटेल बीमार बछिया का इलाज करा रहे हैं। चंदेश्वर की बीमार गाय भी इलाजरत है।

    सकरा के पशुपालक शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि उनके गांव में लंपी बीमारी का संक्रमण तेजी से फैला हुआ है। इससे कई मवेशी संक्रमित होकर बीमार हैं। उन्होंने कहा कि मैरवा में पशु चिकित्सा व्यवस्था ठीक नहीं है। बीमार गाय की इलाज के लिए पशु मोबाइल वैन बुलाने को टोल फ्री नंबर 1962 पर कई बार फोन किया, लेकिन वैन नहीं आया।

    मजबूरन प्राइवेट से इलाज कराना पड़ा। होम्योपैथी चिकित्सक निशांत कुमार ने बताया कि मैरवा प्रखंड समेत आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर लंपी वायरस का पशु शिकार हैं। प्रतिदिन 50-60 पशुपालक इलाज के लिए पहुंचते हैं।

    बता दें कि लंपी वायरस से संक्रमित होने वाले मवेशियों में तेज बुखार, शरीर पर गोल गांठ, फोड़े, मुख लाल होना, नाक से पानी बहना, पैरों में सूजन, लंगड़ापन, भूख की कमी, दूध उत्पादन में कमी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

    समय पर टीकाकरण और बीमार पशुओं का ठीक से इलाज होने पर वे स्वस्थ हो सकते हैं। ठीक से इलाज नहीं हुआ और लापरवाही बरतने पर उनकी मौत भी हो जाती है। यह वायरस संक्रमित पशुओं के संपर्क में आकर दूसरे पशु भी लंपी के शिकार हो जाते हैं।