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    Independence Day 2023: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी से मिलेंगे सिवान के मनोज, रोजगार के लिए बने मिसाल

    By Lalan Prasad Singh (Bhagwanpur Haat)Edited By: Jagran News Network
    Updated: Fri, 11 Aug 2023 06:25 PM (IST)

    रोजगार के मामले में सिवान के मनोज ने एक मिसाल कायम की है। उनकी मेहनत व जज्बा को देखकर उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से संबंधित परिचर्चा में शामिल होने के लिए निमंत्रण भी मिला है। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी करेंगे। मनोज ने अपनी काबिलियत के दम पर मत्स्य पालन के जरिए स्वरोजगार का रास्ता तलाशा है।

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    बहियारा चंवर के मछली निकालते मत्स्य पालक। फाइल फोटो

    ललन सिंह नीलमणि, भगवानपुर हाट (सिवान): बेरोजगारी का दंश झेलने वाले प्रखंड के महम्मतदपुर गांव निवासी मनोज सहनी ने पटना एएन कालेज से इंटर पास करने के बाद 1994 में नौकरी की तलाश की, लेकिन नौकरी नहीं मिली तो गांव पहुंच अपनी माटी से जुड़ कर अपनी वंशानुगत पेशा को अपने जीने का आधार बनाया। अपनी काबिलियत के दम पर स्वरोजगार का रास्ता तलाशा।

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    मनोज ने बहियारा चंवर, महम्मदपुर चंवर, अरुआं चंवर में बेकार पड़े करीब 65 बीघा लीज पर जमीन लेकर 25 तालाब खोदवाई और मत्स्य पालन के काम में जुट गए। इसमें 15 बीघा में बीज उत्पादन किया जा रहा है।

    इस कार्य में मनोज ने कुछ बेरोजगार युवकों को अपने साथ जोड़ा। मनोज के तालाब में रोहू, कतला, नैनी, कामन क्राप तथा पेंगेसिया मछली पाली गई हैं।

    उन्होंने बताया कि दिसंबर से मार्च के बीच मछली को बेचने के लिए तालाब से निकाला जाता है। पटना, मोतिहारी, छपरा, सिवान, गोपालगंज, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिले के मत्स्य व्यवसायी खरीदारी को पहुंचते हैं तथा अपने स्तर से भी मांग के अनुसार मछली उपलब्ध कराई जाती है।

    स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से संबंधित परिचर्चा में शामिल होने के लिए मत्स्य कृषक मनोज को निमंत्रण भी मिला है। जहां प्रधानमंत्री से परिचर्चा के दौरान मनोज मत्स्य पालन की जानकारी साझा करेंगे।

    उपहास को बनाया आधार, आज बन गए नाजिर

    मनोज बताते हैं कि जब वह इस व्यवसाय से जुड़े एवं वर्षों से बेकार पड़े भूखंडों पर तालाब बनवा मछली पालन शुरू किया उस समय गांव के लोग उसका यह कह कर उपहास उड़ाया कि बेकार जमीन पर मछली पालन से कोई लाभ नहीं होगा।

    घर का भी पैसा पानी में चला जाएगा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी, मनोबल को ऊंचा रखा। इच्छा शक्ति एवं मेहनत के बल पर काम करता रहा। धीरे-धीरे सफलता मिलती गई और मनोबल बढ़ता गया।

    मनोज ने बताया कि मत्स्य पालन एवं बीज उत्पादन के लिए पश्चिम बंगाल, मद्रास सहित कई राज्यों में प्रशिक्षण लिया है। समय-समय पर अधिकारियों एवं विभागीय मंत्रियों का दौरा भी यहां हुआ।

    पांच दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मत्स्य पालन केंद्र बहियारा चंवर का निरीक्षण किया और मत्स्य पालन के अलावा समेकित कृषि कार्य की भी सराहना की थी।

    दोगुनी होती है आमदनी

    मनोज ने बताया कि मौसम ने साथ दिया तो एक वर्ष में 70 से 75 लाख रुपया का व्यवसाय निश्चित है, इसमें करीब 30 लाख रुपया खर्च आता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल मछली की देखरेख, पंपसेट चलाने आदि कार्य के लिए करीब डेढ़ दर्जन लोग कार्य कर रहे हैं। जब मछली मारने का समय आता है तो इसमें सौ से अधिक मछुआरा कार्य करते हैं।

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