राजवंशी बिना न 'देशरत्न' बन पाते, न प्रभावती बिना 'लोकनायक'
सिवान। आजादी के आंदोलन की बात हो और राजवंशी देवी तथा प्रभावती देवी की चर्चा न हो, ऐसा संभव ही नहीं ह
सिवान। आजादी के आंदोलन की बात हो और राजवंशी देवी तथा प्रभावती देवी की चर्चा न हो, ऐसा संभव ही नहीं है। इन दोनों महिलाओं ने जिस तरह से स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, उसकी मिसाल कम ही मिलती है। राजवंशी देवी थीं जरूर बलिया की लेकिन उनकी शादी राजेंद्र प्रसाद से हुई थी, जो बाद में भारत रत्न बन गए। प्रभावती देवी का मायका सिवान में है। सिवान के श्रीनगर निवासी महान गांधीवादी नेता ब्रजकिशोर प्रसाद की की इस बेटी ने शादी के बाद कस्तूरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम में ही रहने लगीं। इन्होंने जेल यात्रा भी कस्तूरबा के साथ की। राजेंद बाबू की शादी राजवंशी देवी से उस समय हुई, जब वे 13 साल के ही थे। इसके बावजूद उनकी पढ़ाई-लिखाई पर कोई असर नहीं पड़ा। राजेंद्र बाबू ने पटना की टीके घोष अकादमी से अपनी पढाई जारी रखी। राजवंशी देवी उन दिनों के रिवाज के अनुसार पर्दे में ही रहती थीं। छुट्टियों में घर जाने पर अपनी पत्नी को देखने या उससे बोलने का राजेंद्र प्रसाद को बहुत ही कम अवसर मिलता था। देशरत्न बाद में राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हो गए। तब वे पत्नी से और भी कम मिल पाते थे। वास्तव में विवाह के प्रथम 50 वर्षों में शायद पति-पत्नी 50 महीने ही साथ-साथ रहे होंगे। राजेंद्र प्रसाद अपना सारा समय काम में बिताते और पत्नी बच्चों के साथ जीरादेई गांव में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहती थीं। बच्चों का पालन-पोषण से लेकर घर की सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन बखूबी करती थीं। उन्होंने राजेंद्र बाबू को देश सेवा के लिए घर की जिम्मेदारियों से एकदम मुक्त कर दिया थी। जेपी सेनानी महात्मा भाई बताते हैं कि बुजुर्गों को कहते सुना गया है कि राजवंशी देवी देशरत्न पर गर्व करती थीं। महिलाओं से बात करते समय उनको भी प्रेरित करती थीं कि वे भी अपने पति को स्वतंत्रता आंदोलन में भेजें।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती देवी का मायका सिवान में ही है। इन्होंने भारत माता को आजाद कराने के लिए सारे सुख को त्याग दिया। शादी के बाद गांधी आश्रम में जाकर कस्तूरबा के साथ रहने लगीं। 1920 में जब जयप्रकाश 18 वर्ष के थे, तभी इनकी शादी हो गई। लोकनायक अछ्वुत स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी की पुकार पर उन्होंने देशभक्ति के लए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया। यह कतई संभव नहीं होता, यदि प्रभावती देवी का साथ नहीं मिलता लेकिन गांधीवादी पिता की बेटी होने के नाते उन पर भी देशभक्ति का जुनून सवार था, सो इस मामले में अद्भुत आदर्श का पालन किया। पूरी ¨जदगी को देश और समाज की सेवा में लगा दिया। जरूरत पड़ने पर जेल यात्रा भी की।
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