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    ये बिहार है जनाब! पोस्टमॉर्टम के लिए यहां परिजनों से मांगा जाता है ब्लेड, ग्लव्स व जरूरी सामान; डॉक्टर भी...

    बिहार के सिवान में शव के पोस्टमॉर्टम के लिए मृतक के परिजनों से ग्लव्स ब्लेड कफन का कपड़ा और अन्य जरूरी सामान मांगने का मामला सामने आया है। बुधवार को सिवान के महादेवा ओपी क्षेत्र में बाइक की टक्कर से सैरा खातून की मौत हो गई। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया जहां यह घटना देखने को मिली।

    By Tarun KumarEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 04 Oct 2023 06:43 PM (IST)
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    पोस्टमॉर्टम के दौरान कार्य करते डाक्टर एवं अन्य।

    जागरण संवाददाता, सिवान। बिहार के सिवान में शव के पोस्टमॉर्टम के लिए जरूरी सामान मृतक के परिजनों  से सामान मांगा जाता है। इसमें ब्लेड, ग्लब्स, मास्क व कफन का कपड़ा के साथ आवश्यक सामग्रियां शामिल होती हैं।

    बुधवार को महादेवा ओपी क्षेत्र के बिंदुसार गांव में बाइक की टक्कर से सैरा खातून की मौत हो गई थी। हादसे में सैरा खातून की मौत जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया था।

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    पोस्टमॉर्टम के दौरान अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए जरूरी सामान नहीं होने की बात कहकर उनसे ब्लेड, ग्लव्स व मास्क समेत कई जरूरी सामान लाने के लिए कहा गया।

    सैरा खातून के भतीजे साकिर ने बताया कि जब पोस्टमॉर्टम के लिए आए तो हमलोगों से पांच ब्लेड, चार ग्लब्स, चार मास्क, कफन का कपड़ा के साथ आवश्यक सामग्री की मांग की गई, जिसे हमलोगों ने मेडिकल स्टोर से खरीद कर दे दिया। इसके बाद ही पोस्टमॉर्टम हुआ।

    पोस्टमॉर्टम हाउस पर एक नजर

    पोस्टमॉर्टम भवन में नौ कमरे हैं। इसमें पोस्टमॉर्टम कक्ष, फ्रीजर, बिसरा आदि सुरक्षित रखने के लिए एक कमरे का उपयोग होता है। एफएसएल जांच की सुविधा नहीं है। एफएसएल जांच के लिए सैंपल को मुजफ्फरपुर भेजा जाता है।

    लावारिस शवों को 72 घंटे तक सुरक्षित रखने के लिए एससी युक्त दो मोर्चरी की सुविधा उपलब्ध है। पोस्टमॉर्टम करने के लिए एक कर्मी विजय बांसफोर है।

    इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक करते हैं पोस्टमॉर्टम

    जानकारी के अनुसार, सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए कोई विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं। सदर अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक पोस्टमॉर्टम करने के लिए जाते हैं।

    पोस्टमॉर्टम में जितनी देर चिकित्सक रहते हैं, उतनी देर आपातकाल में मरीजों को चिकित्सक के इंतजार में बैठना पड़ता है।

    इस दौरान मरीजों का इलाज नर्स के भरोसे रहता है। प्रतिदिन इमरजेंसी में तीन शिफ्ट में चिकित्सकों की तैनाती होती है।

    क्या कहते हैं सिविल सर्जन

    इस घटना पर सिवान के सिविल सर्जन  डॉ. अनिल कुमार भट्ट कहते हैं कि पोस्टमॉर्टम के दौरान ब्लेड, ग्लब्स, मास्क सहित सारा सामान विभाग द्वारा दिया जाता है। कपड़ा सिर्फ स्वजन लेकर आते हैं। अगर कोई भी इसकी मांग करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

    उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए कोई विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं। सदर अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक पोस्टमॉर्टम करने के लिए जाते हैं।

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