Bihar Jamin Registry का नियम बदलना 'मास्टर स्ट्रोक' या बहुत बड़ी चूक? नीतीश सरकार को हो रहा तगड़ा घाटा
निबंधन नियमावली में संशोधन से जहां क्षेत्रवासियों की परेशानी बढ़ी है। वहीं सरकार के राजस्व में भी अप्रत्याशित कमी हुई है। जिला अवर निबंधक पंकज कुमार झा ने बताया कि वहीं महाराजगंज बड़हरिया दरौली बसंतपुर व रघुनाथपुर निबंधन कार्यालय में जहां प्रतिदिन 25 से 20 जमीनों की रजिस्ट्री होती थी। वहीं नए नियमावली के बाद से महज तीन से चार जमीनों की रजिस्ट्री हो रही है।
जागरण संवाददाता, सिवान। जिनके नाम जमाबंदी, वहीं कर सकेंगे जमीन की रजिस्ट्री का नियम आने के बाद से गुलजार रहने वाला निबंधन कार्यालय इन दिनों सुनसान पड़ा रहता है। बता दें कि प्रतिदिन औसतन करीब 70 से 80 जमीन की रजिस्ट्री होती थी, लेकिन सरकार की नई गाइडलाइन लागू होने के बाद मुश्किल से अब 10 से 12 जमीनों की रजिस्ट्री ही हो पा रही है।
यही नहीं, निबंधन नियमावली में संशोधन से जहां क्षेत्रवासियों की परेशानी बढ़ी है। वहीं सरकार के राजस्व में भी अप्रत्याशित कमी हुई है।
जिला अवर निबंधक पंकज कुमार झा ने बताया कि वहीं महाराजगंज, बड़हरिया, दरौली, बसंतपुर व रघुनाथपुर निबंधन कार्यालय में जहां प्रतिदिन 25 से 20 जमीनों की रजिस्ट्री होती थी। वहीं नए नियमावली के बाद से महज तीन से चार जमीनों की रजिस्ट्री हो रही है।
दूरगामी परिणाम होंगे बेहतर, भूमि संबंधित मामलों में आएगी कमी
सूत्रों की मानें तो जमीन का निबंधन का निर्णय से भले ही लोगों को तत्काल परेशानी हो रही है, लेकिन इसका दूरगामी परिणाम बेहतर होने वाला है। इस नियम का यह फायदा होगा कि जमीन बिक्री की मनमानी पर अंकुश लग जाएगी।
जानकारों की मानें तो जमाबंदी नियमावली के लागू होने जाने से अब जमीन विवाद स्वतः कम होने लगेंगे। इसका असर भी कुछ दिनों में साफ देखने को मिलने लगेगा।
गौरतलब हो कि पहले भू-माफिया की शहर या बाजार के जिस कीमती भूखंड पर नजर लग जाती थी, उस परिवार के किसी एक सदस्य को लालच देकर अपना कब्जा जमा लेते थे। असली मालिक कोर्ट-कचहरी में फंसकर रह जाता था या फिर बदमाशों के डर से अपना हक छोड़ देता था।
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