By Ramesh KumarEdited By: Aditi Choudhary
Updated: Tue, 20 Jun 2023 04:17 PM (IST)
सिवान के गुठनी में आर्मी के जवान की मौत से घर में कोहराम मच गया। जवान छुट्टी पर अपने घर आए थे। 25 जून को छुट्टी खत्म होने वाली थी। इधर परिजन शव का पोस्टमार्टम कराए बिना अस्पताल से चले गए।
गुठनी (सिवान), जागरण संवाददाता। सिवान के गुठनी थाना क्षेत्र के ग्यासपुर गांव में मंगलवार की सुबह सरयू में स्नान करने के दौरान पानी में डूबने से एक आर्मी जवान की मौत हो गई। इस घटना के बाद गांव में शोक का माहौल है।
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मृतक की पहचान थाना क्षेत्र के खिरौली निवासी मुन्नीलाल गुप्ता के पुत्र अनीश गुप्ता के रूप में हुई है। वे जम्मू में आर्मी जवान के रूप में तैनात थे। अनीश गुप्ता छुट्टी पर घर आए थे। वे पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन अपने साथियों के साथ स्नान करने ग्यासपुर स्थित सरयू नदी में जाते थे।
बताया गया कि मंगलवार की सुबह भी अपने साथियों के साथ ग्यासपुर स्थित सरयू नदी में स्नान करने गए थे। स्नान करने के दौरान वे गहरे पानी में चल गए। उन्हें डूबते देख साथियों ने बचाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। इसके बाद उनके साथी व आसपास के लोगों ने शोर मचाना शुरू किया।
एंबुलेंस नहीं पहुंची, बाइक से ले गए अस्पताल
ग्रामीणों ने घटना की सूचना प्रशासन को दी और गोताखोरों को बुलाने की मांग करने लगे। जब तक प्रशासन पहुंचता, ग्रामीणों ने काफी प्रयास के बाद नदी से अनीश गुप्ता को बाहर निकाला। एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर ग्रामीण बाइक से ही अनीश को लेकर अस्पताल पहुंचे। हालांकि, जांच-पड़ताल के बाद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शब्बीर कुमार और डॉ नीरज कुमार ने जवान को मृत घोषित कर दिया।
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पोस्टमार्टम के बिना शव लेकर चले गए परिजन
इसके बाद मौके पर पहुंची टीम ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम की जैसे ही तैयारी शुरू की, स्वजन शव लेकर चले गए। थानाध्यक्ष रणधीर कुमार ने बताया कि मृतक के परिवार से कोई आवेदन नहीं मिला है। आवेदन मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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छह भाइयों में सबसे छोटे थे अनीश
आर्मी जवान अनीश गुप्ता छह भाइयों में सबसे छोटे थे और अविवाहित थे। वे जम्मू में करीब ढाई वर्ष से कार्यरत थे। कुछ दिन पूर्व ही छुट्टी पर घर आए थे। उनकी छुट्टी 25 जून को पूरी होने वाली थी। उसकी मौत के बाद मां सुशीला देवी, भाई देवेंद्र गुप्ता, कृष्णा गुप्ता, गुड्डू गुप्ता, धनंजय गुप्ता, और मृत्युंजय गुप्ता समेत अन्य स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल था। आसपास के ग्रामीण स्वजन को ढाढ़स बंधा रहे थे।
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