गोल मशीन के नाम से मशहूर महान हॉकी खिलाड़ी के निधन से खेल जगत में शोक की लहर
दुनिया के महान हॉकी खिलाड़ी पदमश्री बलबीर सिंह के सोमवार को निधन की खबर सुनते ही खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी।
सीतामढ़ी। दुनिया के महान हॉकी खिलाड़ी पदमश्री बलबीर सिंह के सोमवार को निधन की खबर सुनते ही खिलाड़ियों व खेल प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। उन्होंने देश को गौरवांवित किया और कई उपलब्धियां लेकर आए। वे बिना किसी संदेह के शानदार हॉकी खिलाड़ी थे। वे एक कोच के तौर पर भी काफी सफल रहे। उनके निधन की खबर सुनकर हर कोई दुखी है। दुनियाभर में गोल मशीन के नाम से मशहूर बलबीर सिंह सीनियर की हार्ट बीट ऐसी कमजोर हुई कि डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बाद भी दोबारा सामान्य नहीं हो सकी। सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत के चलते उन्हे 8 मई को फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उम्र ज्यादा होने की वजह से उनके इलाज में दिक्कत आ रही थी। डॉक्टरों की लाख कोशिशों के बावजूद सदी के ये महान खिलाड़ी सोमवार की सुबह 6.17 बजे दुनिया को अलविदा कह गए। पदमश्री बलबीर सिंह सीनियर भारत के इकलौते ऐसे खिलाड़ी थे, जोकि तीन बार ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता टीम के सदस्य रहे थे।
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कमल जिस प्रकार कीचड़ में खिलकर उसका मान बढ़ाते हैं उसी प्रकार बलबिदर सिंह ने हॉकी का नाम बढ़ाया। ये साल हमें हर तरह से रुलाता गया है, हमारे देश ने फिर एक बार कोहिनूर खो दिया। भले ही वो हमारे बीच ना हों पर गोल मशीन कहलाने वाला इस धरती पर एक था और एक ही रहेगा। तीन बार के ओलिपिक स्वर्ण पदक विजेता महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर के निधन की खबर सुनते ही हम सब स्तब्ध रह गए।
भाव्या कुमारी, राज्यस्तरीय क्रिकेट खिलाड़ी, आवास, एसपी कोठी के पीछे, डुमरा।
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महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर को उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए याद रखा जाएगा। उन्होंने देश को गौरवांवित किया और कई उपलब्धियां लेकर आए। वह बिना किसी संदेह के शानदार हॉकी खिलाड़ी थे। वह एक कोच के तौर पर भी काफी सफल रहे। उनके निधन की खबर सुनकर दुखी हूं। उनके परिवार और शुभचितकों के साथ मेरी संवेदनाएं।
शिवम चंद, राष्ट्रीय खो-खो खिलाड़ी, परिहार
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प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बलबीर सिंह सीनियर का निधन, गोल मशीन के नाम से मशहूर थे। भारत के इकलौते ऐसे खिलाड़ी थे, जो तीन बार ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता टीम के सदस्य रहे। साल 1955 में न्यूजीलैंड -आस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया ने 203 गोल किए, जिसमें 121 गोल बलबीर सिंह सीनियर के थे, यह वह दौर था, जब वर्ल्ड मीडिया ने उनके नाम के साथ गोल मशीन लगाना शुरू कर दिया था।
कल्याणी जायसवाल, राष्ट्रीय खो-खो खिलाड़ी, परिहार
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साल 1957 में पद्मश्री पाने वाले पहले भारतीय थे। डोमिनिकन रिपब्लिक द्वारा उनकी और गुरदेव सिंह पर डाक टिकट जारी है। साल 2006 में बेस्ट सिख खिलाड़ी का अवार्ड भी मिला। लंदन ओलंपिक 2012 में उन्हें सदी के बेहतरीन खिलाड़ियों में चयनित किया गया। यह सम्मान पाने वाले वह एशिया में इकलौते खिलाड़ी थे। साल 2015 में उन्हें मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। साल 2019 महाराजा रणजीत सिंह खेल अवार्ड।
सचिन कुमार, राष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी, बथनाहा।
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साल 1948 के लंदन ओलंपिक में अर्जेन्टीना के खिलाफ उन्होंने 6 गोल दागे थे, इस मैच में भारत 9-1 से जीता था। इसी ओलंपिक के फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को 4-0 से हराया था, इस मैच में उन्होंने पहले 15 मिनट में दो गोल दागे थे। हेल्सिकी ओलंपिक केफाइनल मैच में उन्होंने हॉलैंड के खिलाफ फाइनल मैच 5 गोल दागे थे। जिसका रिकार्ड आज भी गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है।
सरिता कुमारी, राष्ट्रीय भारोत्तोलन चैम्पियशिप, सूरसंड।
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