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गणितज्ञ बोधायन की जयंती आज, पर्यटन केंद्र के रूप में होगा विकसित

जिले के बाजपट्टी प्रखंड के बनगांव स्थित बोधायनसर की तपोभूमि पर आखिरकार पर्यटन विभाग की रोशनी पहुंचने वाली है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 12:59 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 12:59 AM (IST)
गणितज्ञ बोधायन की जयंती आज, पर्यटन केंद्र के रूप में होगा विकसित

सीतामढ़ी। जिले के बाजपट्टी प्रखंड के बनगांव स्थित बोधायनसर की तपोभूमि पर आखिरकार पर्यटन विभाग की रोशनी पहुंचने वाली है। इसे अब विभाग द्वारा पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाना है। यह भगवान बोधायन की तपोभूमि रही है। 12 एकड़ में फैला हुआ है। जहां एक मंदिर और एक तालाब है। बोधायन जयंती के अवसर पर श्रद्धालु यहां जुटते हैं। तालाब में स्नान कर परिक्रमा कर मंदिर में बोधायन की प्रतिमा का पूजा अर्चना करते हैं।

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महान दार्शनिक और गणितज्ञ थे बोधायन

700 ईसा पूर्व जन्मे भगवान बोधायन भारत के महान दार्शनिक और गणितज्ञ थे। उन्होंने दो सौ से अधिक धर्म ग्रंथों की रचना की थी। उन्होंने गणित के कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए। एक श्लोक द्वारा बताया था कि आयत में कर्ण का वर्ग आधार तथा लंब के वर्गों के योग से बराबर होता है। उनकी रचना वृति ग्रंथ में वर्णित इस श्लोक को बोधायन प्रमेय के नाम से जाना जाता है। यूनानी विद्वान पाइथागोरस ने प्रमेय को विस्तार दिया था। बाद में इसके आधार पर आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में खोज की।

पाणिनी ने बोधायन से ली थी दीक्षा

संस्कृत के प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य पाणिनी ने अपने ग्रंथ अष्टाध्ययी में बोधायन का गुरु के रूप में वर्णन किया है। बोधायन दर्शन, धर्म शास्त्र, गणित एवं भाषा के महान ज्ञाता थे। उन्होंने दो सौ से अधिक ग्रंथों की रचना की थी। इनमें वेदवृति, वेदांत, रत्न मंजूष, धर्मसूत्र एवं गृहसूत्र प्रमुख है।

देवराहा बाबा भी आए थे बोधायन

प्रसिद्ध संत देवराहा बाबा भी बनगांव स्थित बोधायन मंदिर में आए थे। मंदिर का निर्माण एवं प्रतिमा की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी। इसका उदघाटन देवाराहा बाबा ने किया था। बोधायन मंदिर का संचालन आयोध्या का सार्वभौम दार्शनिक आश्रम करता है। यहां हर वर्ष पौष कृष्ण द्वादशी को उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष भी जयंती को ले मंदिर परिसर में अष्टजाम शुरू है। जिससे आसपास का इलाका भक्तिमय बना हुआ है। इस अवसर पर भंडारा का भी आयोजन होता है।

मिला पर्यटन स्थल का दर्जा

पर्यटन विभाग ने मंदिर के सौदर्यीकरण के लिए 3.17 करोड़ रूपये की राशि दी है। जिसमें साधुओं के लिए धर्मशाला, बोधायन तालाब का घाट निर्माण, मंदिर का सौंदर्यीकरण, शौचालय, स्नान घर, परिक्रमा पथ का निर्माण कराया जाना है। निर्माण की कड़ी में मंदिर के संस्थापक सह काशी ¨हदू विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्राध्यापक सार्वभौम वासुदेवाचार्य गेट का निर्माण भी कराया जाना है। स्थानीय ग्रामीणों ने इसके लिए स्थानीय विधायक डॉ. रंजू गीता की सराहनीय सहयोग पर आभार व्यक्त करते यहां एक पुस्तकालय देने की मांग की है। ग्रामीणों में रामबाबू ¨सह, सुनील कुमार सुमन, मनोज कुमार ¨सह, आशा देवी, श्याम ¨सह, सीयानंद ¨सह, रामनरेश कुंवर, जितेंद्र ¨सह, सुबोध कुमार, बीरेंद्र ¨सह, राजीव कुमार ¨सह, सुनील मिश्र आदि शामिल हैं। कोट

बोधायन मंदिर के महत्व से पर्यटन विभाग व सरकार को अवगत कराने के साथ ही विधान सभा में प्रश्न उठाकर इसे प्रदेश के मानस पटल पर स्थान दिलाने का काम किया गया है। विभागीय सर्वे के दौरान अधिकारी भी संतुष्ट होकर इस स्थान को पर्यटन स्थल का दर्जा देते हुए राशि निर्गत कर दी है। 14 जनवरी के बाद शिलान्यास के साथ ही सौंदर्यीकरण का कार्य प्रारंभ कर दी जाएगी। यह भारतीय सांस्कृतिक ज्ञान व विज्ञान की स्थली है। आगे भी इसके विकास के प्रति मैं संकल्पित हूं। यह आनेवाले समय में पर्यटक के आकर्षण का केंद्र बनेगा।

डॉ. रंजू गीता, बाजपट्टी विधायक।


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