Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देसी चिकित्सालय में तीन बंद, अन्य तीन भी बदहाल, मरीज बेहाल

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 29 Feb 2020 12:13 AM (IST)

    सीतामढ़ी। देसी चिकित्सालय के नाम पर जिले में छह अस्पताल हैं। 2012 से यूनानी और 2015 से होम्योपैथी के एक भी चिकित्सक नहीं हैं।

    देसी चिकित्सालय में तीन बंद, अन्य तीन भी बदहाल, मरीज बेहाल

    सीतामढ़ी। देसी चिकित्सालय के नाम पर जिले में छह अस्पताल हैं। 2012 से यूनानी और 2015 से होम्योपैथी के एक भी चिकित्सक नहीं हैं। कहीं अस्पताल खंडहर तो कहीं व्यवस्था बदहाल है। इस प्रकार छह देसी अस्पतालों में तीन बंद है। अन्य तीन भी घोर बदहाली का शिकार है। यूनानी हो या आयुर्वेद या फिर होम्योपैथी सब का एक-सा हाल है। परसौनी के भुली में आयुर्वेद, परिहार के बेतहा व नानपुर के पोखरैला में यूनानी अस्पताल को कोई देखने वाला नहीं है। शहर के गुदरी बाजार में आयुर्वेद और रघुनाथपुर में जिला अस्पताल तो बैरगनिया में होम्योपैथ में इलाज भगवान भरोसे है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुदरी बाजार आयुर्वेद अस्पताल को इलाज की जरूरत

    शहर के गुदरी बाजार में वर्ष 1961 में स्थापित आयुर्वेद अस्पताल सिर्फ नाम भर का रह गया है। यदा-कदा ही खुलता होगा। बुधवार को करीब 12 बजे टीम पहुंची तो अस्पताल भूत बंगला नजर आया। अस्पताल की देख-रेख करने वाले स्थानीय गफार ने बताया कि एक डॉक्टर विजय कुमार हैं, वे सीवान से आते हैं। यहां एक मिश्रक व दो आदेशपाल हैं। तीन दिनों से अस्पताल में कोई नहीं आया। स्थानीय रमेश कुमार ने बताया कि अस्पताल से मरीजों को कोई लाभ नहीं है। जिला अस्पताल को अपना भवन भी नहीं

    तब11: 30 बज रहा था। जिला अस्पताल कहने को तो खुला हुआ था मगर मरीज नहीं पहुंचे थे। बड़ा बाबू व स्टोर कीपर टेबुल पर लिखा पढ़ी कर रहे थे। अन्य कर्मी अस्पताल के बाहर आराम फरमा रहे थे। यहां चिकित्सक व कंपाउंडर के तीन-तीन तथा आदेशपाल के भी तीन पद स्वीकृत हैं। अस्पताल में वर्ष 2012 से यूनानी के 2015 से होम्योपैथ के चिकित्सक नहीं हैं। चिकित्सक के अभाव में कर्मी ही मरीजों का इलाज करते हैं। आयुर्वेद के डॉक्टर सुरेंद्र शर्मा पदस्थापित हैं। यह अस्पताल किराये के मकान में चलता है। बेतहा व पोखरैला का असपताल वर्षो से बंद

    बेतहा व पोखरैला के अस्पताल वर्षों से बंद हैं। बेतहा में 2008 से पोखरैला में 2015 से अस्पताल बंद है। दोनों स्थानों पर डॉक्टर, मिश्रक व आदेशपाल के एक-एक पद स्वीकृत हैं। सिर्फ आदेशपाल के भरोसे चल रहा बैरगनिया अस्पताल

    बैरगनिया अस्पताल बदहाली का शिकार है। भवन काफी जर्जर है। अन्य संसाधनों का पूछिए मत। डॉक्टर व आदेशपाल के एक व मिश्रक के दो पद स्वीकृत हैं। फिलहाल यहां एक मिश्रक व एक आदेशपाल प्रतिनियुक्त हैं। डॉक्टर के पद दो वर्ष से रिक्त हैं। 2016 में डॉक्टर के सेवानिवृत्त होने के बाद यहां किसी की प्रतिनियुक्ति नहीं हुई। स्थानीय राघव चौधरी ने बताया कि आदेशपाल ईश्वरनाथ पंडित के आने पर अस्पताल खुल पाता है। भूली का अस्पताल खंडहर, ध्वस्त होने का खतरा

    भूली में स्थापित अस्पताल किसी भी समय धराशायी हो सकता है। यहां डॉक्टर, मिश्रक व आदेशपाल के एक-एक पद स्वीकृत हैं। फिलहाल यहां डॉक्टर चंभूषण प्रसाद मिश्र व आदेशपाल महेंद्र राय पदस्थापित हैं। मिश्रक का पद 2015 से रिक्त है। इलाज कागज में और खर्च जेब में

    सरकार का इन अस्पतालों पर लाखों खर्च होता है। जिला अस्पताल में मरीजों के इलाज मद में सलाना करीब चार लाख रुपये खर्च होते हैं। 25 हजार रुपये मेंटेनेंस खर्च भी हो जाते हैं। गुदरी बाजार स्थित अस्पताल में मरीजों के लिए दवा के नाम पर सलाना तकरीबन डेढ़ लाख रुपये खर्च दिखाए जाते हैं। मेंटेनेंस मद में 25 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च।

    comedy show banner
    comedy show banner