मढि़याधाम में रविवार को जलाभिषेक की है परंपरा
सोनबरसा प्रखंड अंतर्गत भारत नेपाल सीमा से 8 किलोमीटर पूरब दिशा में स्थित मढियाधाम बाबा मानकेश्वर नाथ पर जलाभिषेक को लेकर इस बार भक्तों की भारी भीड़ जुटेगी। पिछले दो वर्षों से कोविड 19 को लेकर सावन माह में जलाभिषेक के लिये प्रतिबंध लगा हुआ था।

सीतामढ़ी । सोनबरसा प्रखंड अंतर्गत भारत नेपाल सीमा से 8 किलोमीटर पूरब दिशा में स्थित मढियाधाम बाबा मानकेश्वर नाथ पर जलाभिषेक को लेकर इस बार भक्तों की भारी भीड़ जुटेगी। पिछले दो वर्षों से कोविड 19 को लेकर सावन माह में जलाभिषेक के लिये प्रतिबंध लगा हुआ था। दो वर्ष के बाद भक्तो में जलाभिषेक को लेकर काफी उत्साह है। मढिया धाम पर आदि काल से रविवार को जलाभिषेक करने की परंपरा ही हैजोआज भी जारी है। हालांकि सावन माह में सोमवार को भी जलाभिषेक किया जाता है।
मढिया धाम दोनो देशों के भक्तों की आस्था केंद्र: मढिया धाम पर भारतीय क्षेत्र के अलावा नेपाल से भी हजारों की संख्या में श्रदालु पहुंचकर बाबा पर जलाभिषेक करते हैं। सावन माह में नेपाल के नूनथर पहाड़ से निकली बागमती नदी के पवित्र जल भरकर कांवरिया ओम नम शिवाय का जाप करते हुए 65 किलो मीटर की दूरी तय कर बाबा को जल अर्पित करते हैं। यह धाम दोनों देशों के लोगो के लिये आस्था केंद्र है। भारतीय सीमा से करीब 55 किलोमीटर जलाभिषेक करने के लिये श्रदालु छोटी बड़ी वाहनों से भारतीय सीमा से होते हुए नेपाल के बागमती नदी में जलभरकर चलते हैं। जहां कांवरिया के सुरक्षा में जगह जगह पर नेपाल की पुलिस तैनात रहती है। रात भर पेट्रोलिग की जाती है। नेपाल प्रशासन द्वारा सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाता है। वही, नेपाल के नवलपुर, हरपुरबा, कबलासी, सलेमपुर, मलंगवा में स्थानीय लोगों द्वारा भव्य पंडाल का निर्माण कराया जाता है। जहां कांवरिया को सभी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। नेपाल प्रशासन के लोग कांवरिया को भारतीय सीमा तक पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं।। वही भारतीय सीमा में प्रवेश करते ही एसएसबी के जवान बॉडर पर पूरी तरह अलर्ट रहते है और कावरिया को सुरक्षा प्रदान करते हैं ।
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