नागेश्वर नाथ बाबा की महिमा अपरंपार
सीतामढ़ी। सीतामढ़ी की धरती केवल रामायण व महाभारत काल से ही जुड़ी नहीं है बल्कि इस धरती को शिवालयों की धरती कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं।

सीतामढ़ी। सीतामढ़ी की धरती केवल रामायण व महाभारत काल से ही जुड़ी नहीं है, बल्कि इस धरती को शिवालयों की धरती कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं। कुछ ऐसे ही है पुपरी शहर स्थित बाबा नागेश्वर नाथ महादेव। यहां दशकों पूर्व महादेव स्वयं शिवलिग के रूप में प्रगट हुए थे। यहां जलाभिषेक करने बाले को संतान की प्राप्ति हुई है। कुष्ठ व असाध्य रोग से पीड़ित लोग भी बाबा की कृपा से चंगे हुए हैं। बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने मात्र से न केवल तमाम सांसारिक मोह से मुक्ति मिलती है, बल्कि यहां मांगी गई मनोकामना भी पूरी होती है। मंदिर का इतिहास : बाबा नागेश्वर नाथ महादेव सैकड़ों वर्ष पूर्व धरती से उत्पन्न हुए थे। कहा जाता है कि बच्चे जब खेल रहे थे, इस दौरान जमीन में एक सुराख दिखा। जिसके अंदर पत्थर की तरह कुछ नजर आ रहा था। जमीन की खुदाई के बाद अति प्राचीन शिवलिग दिखाई पड़ा। शिवलिग को बाहर निकालकर पूजा करने लगे। उसी रात एक भक्त को बाबा भोले नाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर मंदिर बनाने की बात कही। इस स्थान पर आज भी नेपाल शैली में बना अति प्राचीन मंदिर है। इलाके में महादेव नागेश्वर नाथ के नाम से ख्यात हुए। सीतामढ़ी शहर से 25 किमी दूर सीतामढ़ी-पुपरी पथ में पुपरी शहर में बाबा नागेश्वर नाथ का शिवालय है।
प्रति रविवार उमड़ती है भीड़ : यहां प्रत्येक रविवार को मेला लगता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। इसके अलावा शिवरात्रि, बसंत पंचमी व सावन माह में तो यहां आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ता है। स्थानीय दुकानदार सागर व राकेश बताते हैं कि बाबा नागेश्वर नाथ की महिमा अपरंपार है।
आस्था : मंदिर के पुजारी प्रफ्फुल शंकर मिश्र बताते हैं कि बाबा नागेश्वर नाथ महादेव इलाके में लोक आस्था के प्रतीक है। इलाक में शादी - विवाह या अन्य आयोजन। बगैर बाबा नागेश्वरनाथ के पूजन - अर्चन के नहीं होता है। यहां ज्यादातर लोग पुत्र प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने व उतारने आते है। मोक्ष प्रदान करते है भगवान शिव : पंडित प्रफ्फुल शंकर मिश्र बताते हैं कि शिव केवल ईश्वर के अवतार नहीं है, बल्कि तमाम सांसारिक बाधाओं से मुक्ति दिलाने के आधार हैं। शिव की आराधना से भक्तों के तमाम मनोकामनाएं पूरी होती है। शिव अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं। सावन में भगवान शिव की पूजा - अर्चना का विशेष महत्व है। सावन में एक सोमवार को जलाभिषेक का उतना ही फल मिलता है जितना पूरे साल उनके पूजन - अर्चन से मिलता है। सावन में भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।
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