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    विकास की राह देख रही बोधायन की जन्मस्थली

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 03 Jan 2018 01:25 AM (IST)

    आज भी विकास की राह देख रही है जिले के बाजपट्टी प्रखंड का बनगांव स्थित बोधायन की जन्म स्थली। पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होने का इंतजार है। ...और पढ़ें

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    विकास की राह देख रही बोधायन की जन्मस्थली

    सीतामढ़ी। आज भी विकास की राह देख रही है जिले के बाजपट्टी प्रखंड का बनगांव स्थित बोधायन की जन्म स्थली। पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होने का इंतजार है। बनगांव स्थित बोधायन की जन्मस्थली 12 एकड़ में फैला हुआ है। जहां एक मंदिर और एक तालाब है। बोधायन जयंती के अवसर पर श्रद्धालु यहां जुटते हैं। तालाब में स्नान कर परिक्रमा कर मंदिर में बोधायन की प्रतिमा का पूजा अर्चना करते हैं। 700 ईसा पूर्व जन्मे भगवान बोधायन भारत के महान दार्शनिक और गणितज्ञ थे। उन्होंने दो सौ से अधिक धर्म ग्रंथों की रचना की थी। उन्होंने गणित के कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए। एक श्लोक द्वारा बताया था कि आयत में कर्ण का वर्ग आधार तथा लंब के वर्गों के योग से बराबर होता है। उनकी रचना वृति ग्रंथ के शूल्ब सूस् में वर्णित इस श्लोक को बोधायन प्रमेय के नाम से जाना जाता है। यूनानी विद्वान पाइथागोरस ने प्रमेय को विस्तार दिया था। बाद में इसके आधार पर आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में खोज की।

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    पणनि ने बोधायन से ली थी दीक्षा : प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य पणिनी ने अपने ग्रंथ अष्टाध्ययी में बोधायन का गुरु के रूप में वर्णन किया है। बोधायन दर्शन, धर्म शास्त्र, गणित एवं भाषा के महान ज्ञाता थे। उन्होंने दो सौ से अधिक ग्रंथों की रचना की थी। इनमें वेदवृति, वेदांत, रत्न मंजूष, धर्मसूत्र एवं गृहसूत्र प्रमुख है।

    देवराहा बाबा भी आए थे बोधायन: प्रसिद्ध संत देवराहा बाबा भी बनगांव स्थित बोधायन मंदिर में आए थे। मंदिर का निर्माण एवं प्रतिमा की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी। इसका उदघाटन देवाराहा बाबा ने किया था। बोधायन मंदिर का संचालन आयोध्या का सार्वभौम दार्शनिक आश्रम करता है। यहां हर वर्ष पौष कृष्ण द्वादशी को उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष भी जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर भंडारा का भी आयोजन होता है।

    क्या कहते हैं ग्रामीण : रामनरेश कुंवर, रामबाबू ¨सह, सुबोध कुमार, जितेंद्र ¨सह आदि ग्रामीण बताते हैं कि यह बनगांव सहित पूरे इलाके के लिए गौरव की बात है। लेकिन बोधायन की जन्मस्थली का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से शिक्षा एवं शोध को बढ़ावा मिलेगा।