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    ऐसा गांव जहां आजादी के बाद आज भी नहीं बनी सड़क, चचरी पर रेंग रही जिदगानी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 29 Aug 2021 12:00 AM (IST)

    सीतामढ़ी। सीतामढ़ी जिले के सुप्पी प्रखंड की नरहा पंचायत का ढाब टोला सही मायने में ढाब ही दिखता है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से लोग ...और पढ़ें

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    ऐसा गांव जहां आजादी के बाद आज भी नहीं बनी सड़क, चचरी पर रेंग रही जिदगानी

    सीतामढ़ी। सीतामढ़ी जिले के सुप्पी प्रखंड की नरहा पंचायत का ढाब टोला सही मायने में ढाब ही दिखता है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं। लोगों का आक्रोश जनप्रतिनिधियों के लिए भी है, जो चुनाव के समय आते हैं और वोट मांगते हैं। बदले में आश्वासन देते हैं कि उनके लिए विकास का काम किया जाएगा। लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि पलट के देखने के लिए नहीं आता। पंचायत चुनाव एकबार फिर सामने है। नदी के किनारे बसे लोगों के लिए बारिश के समय घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने की वजह से यहां लोगों को कही भी जानें में परेशानी होती है। साथ ही तबीयत खराब होने पर इमरजेंसी के वक्त वाहन से गांव से बाहर निकलना मुश्किल होता है। इस वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है। सुविधाओं के आभाव में पलायन करने को भी मजबूर हैं। सड़क नहीं होने की वजह से गांव का विकास रेंग रहा है। विडंबना यह कि जनप्रतिनिधि इससे बेखबर-बेपरवाही में हैं।

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    नदी के किनारे बसे लोगों के लिए बरसात में चचरी ही सहारा नरहा ढाब टोला वार्ड 10 में लगभग 300 लोग रहते हैं। छोटी आबादी होने से यहां के वाशिदे हाशिए पर हैं। उन लोगों की बदहाली के विषय में शायद ही कोई चर्चा होती है। क्या बरसात और क्या सुखाड़ हर मौसम में यहां के लोग पानी से घिरे रहते हैं। वजह बागमती नदी का एक बड़ा भाग इस टोला के इर्द-गिर्द है। जिससे पानी सूखते-सूखते साल लग जाता है। इस गांव से बाहर निकलने का एकमात्र साधन बांस की चचरी है, जो बागमती नदी में उफान के साथ बह जाती है। तेज धारा के आगे ग्रामीण हार नहीं मानते। हर बार नया चचरी का पुल खड़ा करते हैं और वह थोड़े ही समय में बह चलता है। पंचायत के जनप्रतिनिधियों से लेकर विधायक-सांसद सब इस ढाब टोला की बदहाली से वाकिफ हैं फिर भी यह हाल बरकरार है। इस टोले की आजादी के बाद से यहीं कहानी ग्रामीण राजाराम राय का कहना है कि लगभग 17-18 वर्षों से हम लोग इसी तरह जद्दोजहद कर रहे हैं। आजादी के बाद से अब तक कभी सड़क का निर्माण नहीं कराया गया। रीगा से बैरगनिया जाने वाले मुख्य पथ में गणेशपुर से नदी के छोर तक सड़क आई हुई। जिसके आगे चचरी पुल है। मगर नदी में पुल न होने की वजह से गांव के लोग इस सड़क से आवाजाही नहीं कर पाते। अगर सरकार के द्वारा वहां पुल बनवा दिया जाता तो आवागमन में सहूलियत हो जाती। उन्होनें यह भी बताया कि गांव में किसी प्रकार का साधन ना होने की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि खाद, दवा और रोजमर्रा के आवश्यक आवश्कता की चीजों के लिए पांच से सात किलोमीटर का सफर तय करके चचरी के सहारे आवाजाही करनी पड़ती है। पानी की वजह से छोटे-छोटे बच्चों की सुरक्षा का डर बना रहता है। नदी में पानी की वजह से विषैले सांप-बिच्छू चलते रहते हैं।

    वोट के लिए छोटे-बड़े नेता सभी का आना जाना लगा रहता ग्रामीणों ने बताया कि वोट के समय छोटे-बड़े सभी नेताओं का आना जाना लगा रहता है। भाजपा सांसद रमा देवी, कांग्रेस से पूर्व विधायक अमित कुमार टुना, वर्तमान रीगा विधायक मोतीलाल प्रसाद भी कई बार आए। राजनीतिक रोटी सेकते हैं और आश्वासनों की घुटी पिलाकर लौट जाते हैं। चुनाव बीतने के बाद फिर पांच वर्षों तक कोई सुध लेना जरूरी नहीं समझता। पंचायत चुनाव के लिए इस बार भी पुल एक बड़ा मुद्दा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार वादा खिलाफी करने वाले उम्मीदवार हों या नेता उनको सबक सिखाया जाएगा।