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Bihar News: जॉर्डन में फंसे सीतामढ़ी के मजदूरों की हुई घरवापसी, खाड़ी देश में नर्क सी जिंदगी जीने को थे मजबूर

खाड़ी देश जॉर्डन में फंसे बिहार के सीतामढ़ी जिले के पांच मजदूरों की वतनी वापसी से खुशी की लहर है। ये सभी मजदूर जॉर्डन की एक कंपनी में काम रहे थे। भारतीय दूतावास के दखल के बाद इन सभी मजदूरों की घरवापसी संभव हो पाई है। बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने घरवापसी करने वाले मजदूरों का स्वागत किया है।

By Mukesh Kumar Edited By: Mohit Tripathi Published: Sun, 18 Feb 2024 03:50 PM (IST)Updated: Sun, 18 Feb 2024 03:50 PM (IST)
सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के आवास पर आपबीती सुनाते जार्डन से लौटे सीतामढ़ी के श्रमिक। जागरण

संवाद सूत्र, डुमरा। खाड़ी देश जॉर्डन में फंसे बिहार के सीतामढ़ी जिले के पांच मजदूरों की वतनी वापसी से खुशी की लहर है। ये सभी मजदूर जॉर्डन की एक कंपनी में काम रहे थे। भारतीय दूतावास के दखल के बाद इन सभी मजदूरों की घरवापसी संभव हो पाई है। बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने घरवापसी करने वाले मजदूरों का स्वागत किया है।

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जॉर्डन में फंसे ये मजदूर जिन परिस्थितियों में लौटे हैं, उसके बारे में सुनकर हर कोई स्तब्ध है। जॉर्डन में फंसे सीतामढ़ी के रहमतुल्लाह राईन, जुनैद बैठा, मो. कुर्बान, राजू कुमार, राजेश कुमार ने रोंगटे खड़े करने वाली आपबीती बताई।

नर्क सी जिंदगी जीने को थे मजबूर 

ये सभी भारतीय नर्क सी जिंदगी जीने को मजबूर थे। इन लोगों के साथ नेपाल के भी कुछ कामगार शामिल थे। काफी दिनों तक घर के अंदर नजरबंद रहना पड़ा था। कभी भोजन, तो कभी पानी के लाले पड़ जाते। बिजली काट दी गई थी। कंपनी में कार्यरतकर्मी जिल्लत की जिंदगी जीने को विवश रहे।

मजदूरों ने सभापति का जताया अभार

सभी ने वतन वापसी के लिए बिहार विधानसभा के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर का आभार जताया। मजदूरों ने बताया कि सभापति ने उनसे फोन करके आपबीती सुनी थी और तत्काल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संज्ञान में लाया। सभापति ने सभी को आश्वस्त किया था कि उनकी अविलंब वतन वापसी होगी।  यह मामला वह स्वयं लेकर मुख्यमंत्री के पास गए थे।

सुनने को तैयार जॉर्डन दूतावास के अधिकारी

घर लौटने वालों ने बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार की तारीफ की। मगर जॉर्डन दूतावास के अधिकारियों की आलोचना की। मजदूरों ने बताया कि वहां के अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे थे।

तत्पश्चात मुख्यमंत्री जी अपने आला अधिकारियों को बुलाकर विदेश मंत्रालय से संपर्क साधने का आदेश दिया। सभापति ने कहा कि एक संवेदनशील जनप्रतिनिधि की जो भूमिका होनी चाहिए वह मैंने निभाया है और मुझे खुशी है कि ये नौजवान सकुशल वापस लौट आए।

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