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    सीतामढ़ी की धरोहर पहुंची अंतरिक्ष तक, ISS Mission में शुभांशु शुक्ला के साथ भेजा गया ये स्मृति चिह्न

    सीतामढ़ी जिले के लिए गर्व की बात है कि इसरो-नासा के संयुक्त मिशन में यहां की बेटी मान्या का योगदान रहा। मान्या द्वारा डिजाइन किए गए स्मृति चिह्न में बिहार की पारंपरिक सुजनी कढ़ाई का उपयोग किया गया है जिसे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजा गया। मान्या का सपना है कि वह डिजाइन के क्षेत्र में अपने राज्य का नाम रोशन करे।

    By Anil Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 25 Aug 2025 09:54 PM (IST)
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    सीतामढ़ी की धरोहर पहुंची अंतरिक्ष तक, ISS Mission में शुभांशु शुक्ला के साथ भेजा गया ये स्मृति चिह्न

    अनिल तिवारी, सीतामढ़ी। जिले और प्रदेश के लिए यह अत्यंत गर्व का क्षण है कि उसकी पहचान देश-दुनिया के साथ-साथ अंतरिक्ष में भी पहुंच रही है। खासकर गर्व से सीना तब और अधिक चौड़ा हो जाता है जब इस कार्य में मां जानकी की धरती की बेटी का नाम जुड़ जाता है।

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    जी हां, इसरो-नासा के संयुक्त मिशन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर भेजे गए एक विशेष स्मृति चिह्न में बिहार की पारंपरिक पहचान को स्थान मिला है। इस स्मृति चिह्न को तैयार करने वाली टीम में सीतामढ़ी जिला मुख्यालय स्थित साहू चौक निवासी अरविंद कुमार सिंह और पुष्पा कुमारी की पुत्री मान्या भी शामिल रहीं।

    उनके अतिरिक्त उनकी टीम के सदस्य के रूप में मुंगेर निवासी ऋषभ शर्मा भी थे, जिनके समेकित प्रयास से यह डिजाइन तैयार किया गया है। मान्या वर्तमान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन में अध्ययनरत हैं। इस स्मृति चिह्न को अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया। इसमें बिहार की पारंपरिक सुजनी कढ़ाई का प्रयोग किया गया है।

    धरती पर यह कपड़ा वर्गाकार होता है, जबकि शून्य गुरुत्व में यह वृत्ताकार रूप लेता है जो पूर्णता और ब्रह्मांडीय बिंदु का प्रतीक है। इसके किनारों पर लगे धागे ॐ की आवृत्ति को दर्शाते हैं, जो अंतरिक्ष में भी आध्यात्मिकता और भारतीयता का अनुभव कराते हैं।

    मान्या ने बताया कि बचपन में गांव घर में बिछावन पर बनाई गई डिजाइन से उसे यह प्रेरणा मिली। गांव घर के इलाके में इसे खेनाहा अर्थात सुजनी आदि कहा जाता है। इसी से उसे यह प्रेरणा मिली कि अंतरिक्ष में ऐसी डिजाइन भेजी जाए जिससे हमारी परंपरा का अंतरिक्ष तक में गौरवान्वित हो सके।

    बचपन से ही प्रतिभाशाली मान्या स्कूली शिक्षा सीतामढ़ी जिले से करने के बाद पटना से मैट्रिक की पढ़ाई की। फिर डिजाइन डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) कोलकाता से स्नातक करने के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं। फिलहाल दिल्ली के एक संस्थान से जुड़कर इंटर्नशिप भी कर रही है।

    यहां बता दें कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद विभिन्न क्षेत्रों में डिजाइन की भूमिका तैयार करता है। इसी कड़ी में संस्थान ने डिजाइन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अंतरिक्ष नायकों के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करनेवाले स्मृति चिह्न तैयार कराया है।

    भारतीय अंतरिक्ष यात्री और मिशन पायलट के ग्रुप कैप्टेन शुभांशु शुक्ला के 25 जून से 15 जुलाई तक के एक्सिओम-4 मिशन के दौरान संस्थान की ओर से बनाए गए स्मृति चिह्नों का संग्रह भारत की पहचान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में ले जाया गया था। मान्या का सपना है कि वह डिजाइन के क्षेत्र में अपने राज्य व जिले का एक विशिष्ट ब्रांड तैयार कर सके।