सीतामढ़ी के किसान 500 हेक्टेयर में बिना रासायनिक खाद के खेती करने का हासिल करेंगे प्रशिक्षण
सीतामढ़ी जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पहले चरण में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में बिना रासायनिक खाद के प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके लिए क्लस्टर का चयन भी कर लिया गया है। किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे इस विधि को अपना सकें।

क्लस्टर के लिए सात प्रखंड के दस गांवों को किया गया चिह्नित। फोटो : जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी।जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने पहल शुरू कर दी है। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के तहत जिले के सात प्रखंड के दस गांव को कलस्टर सेंटर बनाया गया है।
प्रत्येक कलस्टर में 50 हेक्टेयर रकवा में प्राकृतिक खेती शुरू करने के लिए प्रत्येक कलस्टर बार 125 किसानों को प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए उक्त प्रखंड के प्रखंड कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है।
इसमें बथनाहा प्रखंड के मझौर व भटूआडीह गांव में कलस्टर सेंटर बनाया गया है। इसी प्रकार सोनबरसा प्रखंड के घुरघुरा हनुमाननगर, सुप्पी प्रखंड के जमला परसा गांव, रीगा प्रखंड के कटहरी व सिमरी गांव, बैरगनिया प्रखंड के परसौनी, बेलसंड प्रखंड के हसौर व रुन्नीसैदपुर प्रखंड के सिरखिरया व तिलक ताजपुर गांव में कलस्टर सेंटर चयनित किया गया है।
प्रत्येक कलस्टर सेंटर में प्राकृतिक खेती के लिए 50 हेक्टेयर रकबा को चिह्नित किया गया है। साथ ही कलस्टर के हिसाब से 125 चयनित किसानों काे जागरूक किया जाएगा।
क्या है प्राकृतिक खेती?
प्राकृतिक खेती में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया जाता है। देसी गाय के गाेबर, गोमूत्र, पानी, नीम पत्तियों, बेसन व चना का आटा से बीजामृत तैयार किया जाता है। बीजामृत प्राकृतिक खेती में उपयोग होनेवाला शक्तिशाली जैविक घोल है। इसमें वैदिक उपचार, ऋग्वैदिक आधार, वैदिक आधार आदि का प्रयोग किया जाता है।
किसानों बनाया जाएगा दक्ष
चयनित किसानों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेवारी अपना खेत बगान फाउण्डेशन को दिया गया है। जहां प्राकृतिक खेती माडल फार्म डेवलप किया जा रहा है। ताकि किसानों को प्रशिक्षित किया जा सके। हालांकि चयनित किसानों की सूची अभी पूरा नहीं किया जा सका है।
प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रथम चरण में जिले के 500 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कलस्टर का चयन कर लिया गया है।
शांतनु कुमार, डीएओ, सीतामढ़ी

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