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    सीतामढ़ी में जाली नोटों के चार सौदागर गिरफ्तार, मुजफ्फरपुर से है बड़ा कनेक्शन; मशीन और केमिकल भी बरामद

    By Mukesh KumarEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Fri, 08 Dec 2023 09:44 PM (IST)

    बिहार के सीतामढ़ी से पुलिस ने जाली नोटों के चार धंधेबाजों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से पुलिस ने नोटों के छापने की मशीन केमिकल और फेक करंसी बरामद की है। शुरुआती जांच से पता चला है कि इस रैकेट का कनेक्शन मुजफ्फरपुर से है। मुजफ्फरपुर के जीरोमाइल में ही नोट छापने की मशीन बिकती है। धंधेबाज वहीं से कच्चा माल भी खरीद रहे थे।

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    सीतामढ़ी में जाली नोटों के चार सौदागर गिरफ्तार, मुजफ्फरपुर से है बड़ा कनेक्शन (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    संवाद सहयोगी, परसौनी (सीतामढ़ी)। पुलिस की स्पेशल टीम ने जाली नोट के चार धंधेबाजों को गिरफ्तार किया है। जाली नोट छापने की मशीन भी बरामद हुई है और नोट छापने के कागज और केमिकल व सौ-सौ के ढाई हजार के जाली नोट भी बरामद हुए हैं। ये सभी भारतीय नोट हैं, जिनको छापकर भारतीय बाजार में खपाया जा रहा था।

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    इन धंधेबाजों तक पहुंचने के लिए पहली गिरफ्तारी परसौनी थाना क्षेत्र के भगवानपुर में हुई। वहां जाली नोट के साथ एक व्यक्ति पकड़ा गया। फिर उसकी निशानदेही पर तीन अन्य धंधेबाज भी गिरफ्तार हुए। इन धंधेबाजों में मेजरगंज थाने के रामपथ पकड़ी गांव के रामस्नेही राय के पुत्र राजेश कुमार, कुआरी मदन के रविभूषन कुमार, नेपाल के गरहिया डुमरिया के चंदन कुमार तथा शिवहर जिला के पुरनहयया थाने की असोगी पंचायत के पूर्व मुखिया रामवृक्ष प्रसाद यादव के पुत्र संजय राय शामिल हैं।

    ऐसे हुआ पूरा मामले का खुलासा

    भगवानपुर के रामजतन राय की दुकान पर राजेश कुमार नामक व्यक्ति एक सौ रुपये का नोट दुकानदार को दिया। वह नोट देखकर दुकानदार को जाली होने का संदेह हुआ। जिसपर दुकानदार ने पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने उक्त व्यक्ति की तलाशी ली। जिसमें उसके पास से 2500 रुपये सौ-सौ के नोट बरामद हुए। उसकी निशानदेही पर पुलिस असोगी गांव के पूर्व मुखिया रामवृक्ष यादव के घर पर छापेमारी की। जहां से नोट छापने की मशीन के साथ अन्य उपकरण बरामद किए गए।

    थानाध्यक्ष सुनीता कुमारी ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार नेपाली युवक ने पुलिस को यह भी बताया कि वह जाली नोट चलाने वाले लोगों को संजय राय से मिलवाता था। जिसके बदले उसे प्रत्येक खेप बीस हजार रुपये मिलते थे। यह धंधा पिछले एक साल से चल रहा था। धंधा का मुख्य सरगना संजय राय ही है।

    वहीं, पूर्व मुखिया का पुत्र संजय राय ने बताया कि मशीन की खरीद मुजफ्फरपुर जीरोमाइल से की गई थी। रॉ मैटेरियल भी वहीं से लाया जाता था। हालांकि पुलिस के अनुसार, उक्त मशीन विदेशी प्रतीत होती है। थानाध्यक्ष ने धंधेबाजों के बारे में फिलहाल ज्यादा कुछ बताने से इनकार किया। वहीं, एसपी मनोज कुमार तिवारी का कहना है कि गैंग की तह तक जाने की कोशिश की जा रही है, इसीलिए अभी ज्यादा कुछ जानकारी देना मुनासिब नहीं है।

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