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    एक शिक्षक के भरोसे 579 बच्चों का भविष्य, व्यवस्था में सुधार के दावे की पोल खोल रहा सीतामढ़ी का यह स्कूल

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 04:52 PM (IST)

    Sitamarhi News जिला मुख्यालय स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय मधुबन की स्थिति अच्छी नहीं है। यहां महज दो कमरे में चार कक्षाएं नौंवी 10वीं 11वीं और 12वीं की पढ़ाई होती है। यहां कुल 579 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं जिनमें 300 से ज्यादा छात्राएं हैं। इनको पढ़ाने के लिए एकमात्र शिक्षक हैं। यही शिक्षक प्रधानाध्यापक क्लर्क और अनुसेवी की भूमिका में रहते हैं। केवल 36 जोड़ी डेस्क-बेंच हैं।

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    इस स्कूल में एक शिक्षक के भरोसे है पूरी व्यवस्था। कई बार छात्रा भी पढ़ाती है। जागरण

    अमित सौरभ, सीतामढ़ी। Sitamarhi Education News: शिक्षा में सुधार के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इसकी तस्वीर हकीकत बयां करती है। गांवों में स्कूलों की हालत देख ऐसा लगता है कि विभाग की प्राथमिकता में ये कहीं हैं ही नहीं।

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    जिला मुख्यालय स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय मधुबन के महज दो कमरे में चार कक्षाएं नौंवी, 10वीं, 11वीं और 12वीं की पढ़ाई होती है। विद्यालय में 579 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जिनमें 300 से ज्यादा छात्राएं हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए एकमात्र शिक्षक हैं।

    यही शिक्षक, प्रधानाध्यापक, क्लर्क और अनुसेवी की भूमिका में रहते हैं। बच्चों के बैठने के लिए केवल 36 जोड़ी डेस्क-बेंच हैं। बाकी को दरी पर बैठाकर पढ़ाया जाता है। 24 अगस्त, 2020 को सीएम नीतीश कुमार की स्वीकृति से विद्यालय की शुरुआत हुई थी।

    उद्देश्य था घर से एक किमी के दायरे में बच्चों को बेहतर शिक्षा देना। पांच साल बीत गए, लेकिन विद्यालय को न तो अपनी जमीन मिली और न ही भवन। शुरुआत में यह बुनियादी विद्यालय डुमरा के एक कमरे में संचालित हुआ। फिर दिसंबर, 2024 में इसे सीतामढ़ी उच्च विद्यालय में शिफ्ट किया गया।

    विद्यालय में 579 छात्र नामांकित हैं, जिनमें 300 से ज्यादा लड़कियां हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक व प्रधानाध्यापक डा. मनीष कुमार हैं। वे ही नामांकन, निबंधन, प्रतिवेदन, पढ़ाई, साफ-सफाई और गैर-शैक्षणिक काम भी संभालते हैं।

    बच्चों के बैठने के लिए केवल 36 जोड़ी डेस्क-बेंच हैं। बाकी बच्चों को दरी पर बैठाकर पढ़ाया जाता है। प्रधानाध्यापक डा.मनीष कुमार ने बताया कि कि उन्होंने विभाग को कई बार पत्र भेजकर शिक्षकों और संसाधनों की मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

    तामढ़ी उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक बैद्यनाथ बैठा ने शिक्षकों की मदद न कर पाने की मजबूरी जताई। उन्होंने बताया कि उनके विद्यालय में 2400 बच्चे पढ़ते हैं और मात्र 14 शिक्षक हैं। विद्यालय में लिपिक तक नहीं है।

    छात्र शिवम कुमार कहते हैं कि स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा, प्रयोगशाला व पुस्तकालय की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार ने हमारे घर के निकट अपने पंचायत में उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए स्कूल तो खोल दी है, लेकिन आवश्यक संसाधन नहीं रहने से हम छात्रों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल रहा है।

    छात्रा सुहाना ने बताया कि स्कूल में एक ही शिक्षक हैं, वह भी हेडमास्टर हैं। जब शिक्षक मीटींग में जाते है तो स्कूल में छुट्टी दे दी जाती है। इससे हमारी पढ़ाई बाधित होती है। शिक्षक के नहीं होने से हमारा सिलेबस भी पूरा नहीं हो पता है। (Bihar News)

    सरकार ने अपने ही पंचायत के ही विद्यालय में नामांकन की बाध्यता कर दी है। ऐसे में दूसरे स्कूल में नामांकन भी नहीं होता है। मो. अंजार ने बताया कि स्कूल में एक ही शिक्षक होने से सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। दो ही कमरे में नौवीं से 12वीं तक के छात्रों को बैठाया जाता है।

    इससे काफी दिक्कत होती है। वहीं सलोनी कुमारी कहती हैं कि सभी विषय के शिक्षक नहीं होने से सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है। एक शिक्षक होने से अक्सर कंबाइंड क्लास होता है। इससे पाठ समझने में परेशानी होती है।

    दो शिक्षक की प्रतिनियुक्ति पूर्व में ही की जा चुकी है। सूचना मिली है कि वे प्रतिनियुक्त शिक्षक इस स्कूल में नहीं जा रहे हैं। इसकी जांच स्वयं करूंगा। किसी भी हाल में पढाई प्रभावित न हो इसके लिए तत्कालिक व्यवस्था की जाएगी।

    आयुष कुमार, डीपीओ, माध्यमिक शिक्षा, सीतामढ़ी